नई दिल्लीः हिंदी जगत में प्रवासी साहित्य की जब भी चर्चा होती है, तो तेजेंद्र शर्मा का नाम काफी प्रमुखता से सामने आता है. प्रवासी साहित्य से भारतवासियों को परिचित कराने में तेजेंद्र की बड़ी भूमिका रही है. तेजेंद्र शर्मा की कहानियां उनके सजग साहित्यकार होने का प्रमाण है. वे  अपने आसपास के परिवेश में से पात्र चुनते हैं और पन्नों पर उनकी लड़ाई लड़ते हैं. विषय वैविध्य और विषयों की सामयिकता तेजेंद्र शर्मा की कहानियों की अन्य विशेषता है. कथा साहित्य में शिल्प एवं शैली के स्तर पर जो परिवर्तन हुए हैं, उनकी झलक तेजेंद्र शर्मा की कहानियों में देखने को मिलती है. तेजेंद्र शर्मा की कहानियां एक अलग ही लोक से हमारा परिचय करवाती हैं. न केवल उनके विषय अनूठे हैं, बल्कि उनकी प्रस्तुति भी प्रभावी है. वायुसेवा में काम करते हुए दुनिया छान चुके तेजेंद्र की कहानियों में ब्रिटेन से लेकर पाकिस्तान, जापान, अमेरिका आदि अनेक देशों और वहां की समाज-संस्कृति की उपस्थिति मिलती है.
अब यश पब्लिकेशंस से उनकी दो पुस्तकें एक साथ आई हैं, जिनमें तेजेंद्र शर्मा के प्रवास-पूर्व और प्रवास के पश्चात की समग्र कहानियों का संकलन हैं. 'स्मृतियों के घेरे' संग्रह में जहां उनकी भारत में रहने के दौरान की कहानियां हैं, वहीं 'नयी जमीन नया आकाश' संग्रह में ब्रिटेन में बसने के बाद की कहानियां संकलित की गऍऍ हैं. युवा लेखक, समीक्षक पीयूष द्विवेदी ने इन दोनों पुस्तकों की भूमिका लिखी हैं. याद रहे कि तेजेंद्र शर्मा अपने 'काला सागर', 'ढिबरी टाईट', 'देह की कीमत', 'यह क्या हो गया', 'पासपोर्ट के रंग'  और 'बेघर आंखें' नामक कहानी संग्रहों से पहले ही काफी चर्चित रहे हैं और उनका एक कविता संग्रह भी 'ये घर तुम्हारा है' नाम से प्रकाशित हो चुका है.