नई दिल्लीः इस कथन में शत- प्रतिशत सच्चाई है कि अगर किसी संस्थान के शीर्ष नेतृत्व के पास संकल्प और दूरदृष्टि हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं. बल्देव भाई शर्मा की अगुआई में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास देश में पुस्तक संस्कृति के विकास में कई योजनाओं पर एक साथ अमल कर रहा है, और एक खास अंदाज में आगे बढ़ा रहा है. ट्रस्ट की वैन देश भर में तो घूम ही रही, उसके मेले भी छोटे-बड़े सभी तरह के शहरों में लग रहे, जिनमें किताबों की रिकॉर्ड बिक्री हो रही है. अब किताबों से युवा पीढ़ी के प्रेम को बढ़ाने और उन्हें रोजगार परक प्रशिक्षण दिलाने के लिए न्यास उन्हें पुस्तक प्रकाशन की दिशा में भी प्रेरित कर रहा, जिस के लिए जगह-जगह पुस्तक प्रकाशन प्रमाणपत्र कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं. न्यास ने इसे एक कौशल विकास कार्यक्रम की तरह विकसित किया है. हाल ही में हैदराबाद, कोच्चि, इम्फाल, अगरतला, शिलांग, वाराणसी, दिल्ली, धर्मशाला जैसे कई स्थानों पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जा चुका है. आने वाले 28 सितंबर से 4 अक्टूबर तक पुडुचेरी में युवाओं के लिए ऐसा ही एक पुस्तक प्रकाशन प्रमाणपत्र कार्यक्रम आयोजित हो रहा है, जिसमें खुद बल्देव भाई शर्मा भी उपस्थित रहेंगे.
इस बाबत बात करने पर न्यास के अध्यक्ष बल्देव भाई शर्मा के अनुसार युवाओं और पुस्तक उद्योग के साथ-साथ साहित्य-संस्कृति और व्यापार को एक साथ समेटने का ट्रस्ट का यह बहु उपयोगी रोजगारपरक आयोजन है, जो सप्ताह भर चलता है. ऐसे आयोजनों में हम देश के पुस्तक प्रकाशन की विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञों को शिक्षण हेतु बुलाते हैं. ये न केवल अपने अनुभव बताते हैं बल्कि शैक्षणिक अंदाज में ऐसी बातें भी बताते हैं, जिन्हें सीखकर युवा पीढ़ी पुस्तक लेखन व प्रकाशन के क्षेत्र में आगे बढ़ सकती है. हमारा मानना है कि पुस्तक प्रकाशन का भविष्य देश में काफी उज्ज्वल है. पश्चिम बंगाल के बांकुरा में लगी पुस्तक प्रदर्शनी में शुरुआती दिनों में ही सत्तर लाख से ऊपर की बिक्री हो जाने का उद्धरण देते हुए वह कहते हैं कि जब लोग कहते हैं कि पुस्तकें पढ़ने में रुचि कम हो रही है, तब हमें लगता है कि ऐसा नहीं है. अगर लोगों को किताबें मिलें, सहजता से उपलब्ध हों तो वह उन्हें जरूर खरीदेंगे. न्यास गांव-गांव, कस्बों-कस्बों, हर शहर, गली-मोहल्ले तक किताबें पहुंचा रहा है और पुस्तक प्रेमी पूरी ललक के साथ खूब किताबें खरीद रहे हैं. यह हमारी योजनाओं व प्रयासों का सुफल तो है ही, न्यास के उद्देश्यों की पूर्णता की ओर बढ़ते सार्थक कदम हैं. मीडिया का सहयोग भी उल्लेखनीय है. हर हाथ किताब पहुंचाने में सरकार और जागरूक लोग सभी का सहयोग स्वीकार किया जाना चाहिए.