नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान की जीवनी प्रकाशित होने जा रही है. इसके लेखक पत्रकार प्रदीप श्रीवास्तव हैं और पेंगुइन हिंदी इसे छाप रहा है. प्रकाशक का दावा है कि यह राम विलास पासवान की पहली विस्तृत जीवनी है, जो इसी साल नवंबर में किसी भी समय छप कर आएगी. इस पुस्तक में लेखक ने उनके बचपन, अनेक कठिनाइयों को पारकर हुई उनकी शिक्षा-दीक्षा और उनके निजी जीवन से जुड़े अन्य तथ्यों के साथ आधी सदी से ज्यादा के राजनीतिक करियर का लेखाजोखा प्रस्तुत किया है, जिस दरम्यान पासवान ने इस देश के राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन किया. प्रकाशक की विज्ञप्ति के मुताबिक शोधपरक और गहरे साक्षात्कारों पर आधारित इस पुस्तक में लेखक राम विलास पासवान की छवि एक ऐसे नेता के रूप में गढ़ने की कोशिश करता है, जिसने अपनी पूरी जिंदगी दलित-पीड़ित जनता और सामाजिक न्याय की राजनीति को समर्पित कर दिया. पासवान बिहार के खगड़िया जिले के शाहरबन्नी गांव से हैं.
पेंगुइन रैंडम हाउस की एडिटर-इन-चीफ़, लैंग्वेजेज, वैशाली माथुर कहती हैं, ‘आज के दौर में ज़मीन से उठकर शिखर तक पहुंचने वाले राजनेता कम ही हैं, जिन्होंने इतनी लंबी एक बेदाग पारी खेली है. एक साधारण से परिवार से आनेवाले राम विलास पासवान जिन्होंने अपने जीवन में देश की अहम राजनीतिक घटनाओं में हिस्सा लिया और उसके नज़दीक से गवाह बने, उनकी जीवनी पाठकों अवश्य ही प्रेरित करेगी और राजनीति के अंत:पुर का परिचय करवाएगी. यह किताब राजनीति शास्त्र ही नहीं बल्कि आधुनिक भारत के इतिहास का भी एक अहम दस्तावेज है.पुस्तक के लेखक, पत्रकार प्रदीप श्रीवास्तव कहते हैं, ‘राम विलास पासवान देश के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने दलित-पीड़ित जनता और हाशिए पर रहे लोगों के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया. वह जिस भी विभाग में रहे उनकी नीतियों के केंद्र में दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों के हित व उनका विकास उनकी प्राथमिकता रही है. यह साधारण बात नहीं है कि हाजीपुर ने उन्हें कई-कई बार लोकसभा में चुनकर भेजा. उनकी जीवनी देश की आज़ादी के बाद के इतिहास का एक जीवंत दस्तावेज भी है.