नई दिल्ली: इंडिया इंटरनेशनल एनेक्सी में रज़ा फाउंडेशन की ओर से 'आज कविता' का आयोजन हुआ. इसमें वरिष्ठ कवि दिविक रमेश, हरि मृदुल, लक्ष्मण प्रसाद गुप्त तथा अणु शक्ति सिंह का काव्यपाठ हुआ. इस आयोजन में अणुशक्ति सिंह ने अपनी भाव प्रवण कविताएं सुनाईं. मेरे पुत्र के पिता, भूत और वर्तमान तथा मेलेफिसेन्ट नामक काफी सराही गईं. कार्यक्रम में मौजूद कलामर्मज्ञ ज्योतिष जोशी के अनुसार स्वानुभूति से उपजी अणुशक्ति सिंह की दाहक वेदना उनकी कविताओं के शब्दों में गहन संवेदना के साथ उतरती है. लक्ष्मण प्रसाद गुप्त ने आधुनिकता और विकास के नाम पर एक समेकित संस्कृति को खत्म कर देने की साजिश का काव्यमय प्रतिरोध दर्ज किया. उनकी कविताओं में व्यक्त भाव नए स्वर की तरह थे, जिसमें अलक्षित बिम्ब और सुघड़ विन्यास सराहनीय लगे. चर्चित कवि हरि मृदुल ने कुछ सुंदर कविताएं पढ़ीं. मोजा, चादर, बनियान जैसी कविताएं अपनी संक्षिप्तता के बावजूद गहरे अर्थ की संभावनाओं से भरी थीं तो अपने सैनिक पिता को याद कर सुनाई गई उनकी कविता ने पहाड़ के दर्द के साथ प्रेम की तरलता और स्निग्ध माधुर्य को व्यक्त किया.
वरिष्ठ कवि दिविक रमेश ने भी अनेक कविताएं सुनायीं, जिनमें वर्तमान के संकट और आगत की चिंताओं ने श्रोताओं को उद्वेलित किया. निर्भया कांड पर उनकी कविताओं सहित मास्को और ईरान के अनुभवों पर आधारित उनकी कविताओं ने मानवीय प्रश्नों के साथ संवेदना की जो साझा तस्वीर प्रस्तुत की, वह सजल करने वाली थी. उनके शब्दों में, दिल्ली में क्रूरतम बलात्कार की शिकार दामिनी के पक्ष में 21-12-2012 को उमड़े जन सैलाब को देखकर लिखी कविता की बानगी देखें-
पूजना चाहता हूं किसी अवतार की तरह
भीड़ भी तो नहीं कह सकता इसे!
माना, न ये लाद कर लाए गए हैं ट्रकों पर
और न ही आए हैं ये रेलगाड़ियों पर होकर काबिज
इनके हाथों में ढर्रेदार झंडे भी तो नहीं हैं
जिन्हें देखने के आदी हैं हम.
खासकर जन्तर-मन्तर ऒर इंडिया गेट पर….
इस कार्यक्रम में डॉ गंगा प्रसाद विमल, सौमित्र मोहन, गिरधर राठी, चारुमित्र,जयोतिष जोशी, राजा खुगशाल, अजेय कुमार, हरियश राय, अवधेश सिंह सहित ढेरों साहित्यप्रेमी उपस्थित थे.