नई दिल्लीः प्रगति मैदान में पुस्तक प्रेमियों की भीड़ रोज दिख रही है. धूप खिली तो दिल्लीवासियों ने धूप का भरपूर लाभ लेते हुए पूरा दिन पुस्तकों के बीच बिताने का निर्णय लिया. दुर्लभ और दिलचस्प किताबें एक जगह मिलने की वजह से पुस्तक मेला हर पुस्तक प्रेमी के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है. यही कारण है कि कार्यालय के दिनों में भी 50 हज़ार से अधिक पुस्तक प्रेमी पुस्तक मेला देखने आ रहे हैं. फिर बाल मंडप नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला में बच्चों के लिए अलग ही रोमांच लेकर आया है. अभिभावक बच्चों की मनपसंद पुस्तकें खरीद कर खूब आनंद ले रहे हैं. पुस्तक मेले में विशेष रूप से बच्चों के लिए बना रचनात्मक बाल मंडप प्रतिदिन कार्यक्रमों एवं गतिविधियों से गुलज़ार रह रहा है. यहां दिन भर नाटक, प्रहसन, कठपुतली प्रदर्शन, कथावाचन, बाल साहित्यकारों से भेंट, नुक्कड़ नाटक एवं अनेक सृजनात्मक गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं, जिनका विभिन्न विद्यालयों एवं स्वयंसेवी संगठनों से आए बच्चे भरपूर आनंद उठाते हैं. यहां बच्चों के साथ आने वाले अभिभावक तथा अध्यापक भी स्वयं बच्चे बन इन कार्यक्रमों का लुत्फ ले रहे हैं. बाल मंडप पर आकर बच्चों की कल्पनाओं को पंख लग जाते हैं और वे इन कल्पना रूपी पंखों से आकाश में उड़ान भर रहे हैं.
 
यहां आयोजित हो रहे विभिन्न कार्यक्रमों में बच्चे, अपने अनुभव और किस्से-कहानियां सुनाकर अत्यंत उत्साहित हैं, उनकी इस उत्सुकता को देख ऐसा प्रतीत होता है कि सर्दियों की छुट्टियों में बच्चों के लिए पुस्तक मेला एक रोमांचक स्थान साबित हो रहा है. जहां आकर उन्हें आकर्षक पुस्तकों के साथ-साथ ज्ञानवर्धक गतिविधियों में भाग लेने के अवसर भी मिल रहे हैं.
बच्चों के इस रचनात्मक मंडप पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने कहानी-वाचन सत्र आयोजित किया, जिसका संचालन प्रसिद्ध बाल साहित्यकार दीपा अग्रवाल ने किया. उन्होंने बच्चों को बताया कि कहानियों ने उन्हें हमेशा से ही आकर्षित किया है तथा कहानी-लेखन के लिए वह सदैव उत्साहित रहती हैं. उन्होंने कहानी लिखने के तरीकों के बारे में बच्चों के साथ बातचीत की. इस अवसर पर दीप फाउंडेशन और बच्चन सोसाइटी के बच्चे उपस्थित थे. दीपा अग्रवाल ने बच्चों को नैतिक मूल्यों और मित्रता जैसे विषयों पर आधारित कहानियां सुनाईं. सभी बच्चों ने पूरे उत्साह से इसमें भाग लिया. इसी तरह एकलव्य स्वयंसेवी संगठन द्वारा 'बाल साहित्य पर चर्चा' कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें संपादक दीपाली शुक्ला, पिकल योक बुक्स की रिचा झा तथा बच्चों की लेखिका रिनचिन उपस्थित थीं. यहां उपस्थित वक्ताओं ने बाल साहित्य पर चर्चा की जिसमें अभिभावकों ने भी अनेक प्रश्न पूछे. कार्यक्रम में बच्चों ने कहानी लेखन के अपने अनुभवों को साझा किया. इस अवसर पर बच्चों की पुस्तकों का लोकार्पण बच्चों द्वारा ही करवाया गया जिनमें शामिल हैं : अजूबा, स्कूल में तांता, बचपन की बातें, आबू-साबू, ठाँव-ठाँव घूम, चश्मा नया है आदि. इससे पहले दिनों में भी राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा रचनात्मक लेखन कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें बाल साहित्यकारों देवेंद्र मेवाड़ी तथा मंजरी शुक्ला आदि ने बच्चों को कहानी लेखन के तरीकों से अवगत करवाया. बच्चों ने अपनी कल्पनाओं से रोचक कहानियां बनाईं. इसी मंच पर प्रसिद्ध कहानी वाचक जयश्री सेठी द्वारा बच्चों के ही अंदाज़ में कहानियां सुनाई गईं, जिसका बच्चों ने भरपूर आनंद उठाया. जागो टीन्स द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नन्हें-मुन्ने दिव्यांग बच्चों ने डिजिटल खेल खेले. महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में बच्चों के लिए एक कहानी-सत्र का आयोजन किया गया जहाँ डॉ. वेद मित्रा ने अपनी कहानियों के माध्यम से बच्चों को गांधी जी के जीवन तथा शांति और अहिंसा के सिद्धांतों के बारे में बताया.