नई दिल्लीः भारत में कोरोना बीमारी अपने डैने तेजी से फैला रही है. ऐसे में लॉकडाउन में किताबों ने सबसे अहम भूमिका अदा की है. पाठकों, लेखकों और साहित्य प्रेमियों के लिए अपने इस सदाबहार दोस्त के पास लौटने का समय लौटा, तो वहीं किताबें फैलते अंधेरे और टूटती हिम्मत को थामे रखने का जरिया भी बन रही हैं. किताबें लोगों तक पहुंच सकें इसके लिए प्रकाशकों की मेहनत को कम नहीं आंका जा सकता. राजकमल प्रकाशन समूह ने लॉकडाउन 4.0 में मिली थोड़ी छूट के बाद 6 मई से किताबों की होम डिलिवरी शुरू कर दी थी. साथ ही समूह के दरियागंज दफ्तर से भी किताबों की बिक्री आरंभ कर दी गई थी.किताबों तक पहुंच, सुरक्षा एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए राजकमल प्रकाशन ने अपने दफ्तर में हैंड सैनिटाइजर डिस्पेंसर लगाया है. यह डिस्पेंसर राजस्थान सरकार द्वारा प्रमाणित ओटेमैटिक सेंसरयुक्त है.
इसी तरह कोरोना काल में मास्क को जीवन की अहम जरूरतों में शामिल मानते हुए राजकमल प्रकाशन समूह ने सूती कपड़े का घर में सिला मास्क तैयार कराया है. जिसे किताब लेने आने वाले प्रत्येक पाठक को दिया जा रहा है. यह मास्क बार-बार धोकर उपयोग में लाया जा सकता है. ऑनलाइन किताबें मंगवाने वाले पाठकों को भी यह मास्क प्रत्येक पार्सल के साथ भेजा जा रहा है. इसके अलावा राजकमल प्रकाशन ने दिल्ली के कई कोविड केयर सेंटरों में सुप्रसिद्ध और पाठकप्रिय लेखकों की किताबें भी निःशुल्क उपलब्ध कराई हैं. क्वारंटाइन सेंटर में ऐसी किताबें लोगों के लिए मानसिक खुराक का काम करती हैं. किताबों की ई-बुक में उपलब्धता भी जारी है. सोशल डिस्टेंसिंग जितना जरूरी है उतना ही इस विश्वास को जगाना कि हम सभी साथ हैं.