भोपाल: हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार अमृतलाल नागर को उनकी पुण्यतिथि पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर नमन किया और श्रद्धांजलि दी. उन्होंने लिखा, “अपनी अमूल्य रचनाओं से साहित्य जगत को समृद्ध करने वाले साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण से सम्मानित अमृतलाल नागर जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. सेठ बांकेलाल, भूख, युगावतार, गदर के फूल जैसी अनूठी कृतियां सदैव साहित्य जगत को सुरभित करती रहेंगी.” राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अमृतलाल नागर की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया कि, “महान साहित्यकार पद्मभूषण से सम्मानित स्व. अमृतलाल नागर जी की पुण्यतिथि पर शत-शत नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि. नाटक, रिपोर्ताज, निबन्ध, संस्मरण, अनुवाद, बाल साहित्य में आपका अभूतपूर्व योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता.” राजनेता राकेश सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा, “जैसे सूर्योदय के होते ही अंधकार दूर हो जाता है, वैसे ही मन की प्रसन्नता से सारी बाधाएं शांत हो जाती हैं. हिंदी साहित्य जगत के उत्कृष्ट साहित्यकार एवं पद्मभूषण से सम्मानित अमृतलाल नागर जी की पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन.” भूपेंद्र सिंह ने लिखा, “लोकप्रिय उपन्यासकार, साहित्यकार, पद्मभूषण से सम्मानित अमृतलाल नागर जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि.“
याद रहे कि अमृतलाल नागर हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे. आपका जन्म 17 अगस्त, 1916 को उत्तर प्रदेश के आगरा में एक गुजराती परिवार में हुआ था. नागर की विधिवत शिक्षा केवल हाईस्कूल तक ही हो पाई थी, लेकिन पढ़ाई के शौक के चलते उन्होंने स्वाध्याय की राह पकड़ी और इस अध्ययन-विधि के तहत साहित्य, इतिहास, पुराण, पुरातत्त्व, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र इत्यादि विषयों के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, गुजराती एवं मराठी भाषा का भी यथोचित ज्ञान प्राप्त किया. अमृतलाल नागर जितने ऊंचे दर्जे के कथाकार-उपन्यासकार थे, उतने ही ऊंचे दर्जे के जिंदादिल व्यंग्यकार भी थे. इनका हास्य-व्यंग्य लेखन भी कोई कम महत्त्वपूर्ण नहीं है, अमृतलाल नागर की इसी जिंदादिली और विनोदी वृत्ति के कारण इनकी रचनाएं अत्यंत पठनीय बन पड़ी हैं. उपन्यास के अलावा नागर ने नाटक, रेडियो-नाटक, रिपोर्ताज, निबंध, संस्मरण, अनुवाद, बाल साहित्य आदि के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया. 23 फरवरी 1990 को आपका निधन हुआ था.