मीरजापुरः आचार्य रामचंद्र शुक्ल स्मारक शिक्षण संस्थान में हिंदी साहित्य के मनीषी आचार्य रामचंद्र शुक्ल की 81वीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया गया. संस्थान की ओर से उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत ही. इस अवसर पर विधायक रत्नाकर मिश्र ने कहा कि आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने जीवन पर्यंत हिंदी साहित्य जगत को समृद्ध करने की कोशिश करते रहे. आज हिंदी अगर पूरे विश्व में अलख जगा रही है तो इसके पीछे शुक्ल जी जैसे आचार्यों की बड़ी भूमिका है. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार भोलानाथ कुशवाहा ने कहा कि आचार्य शुक्ल का मीरजापुर जनपद से भी काफी लगाव था और वे इसके विकास के बारे में हमेशा सोचते थे. अनुज प्रताप सिंह ने कहा कि आचार्य शुक्ल ऐसे मनीषी थे, जिनका लोहा पूरा हिंदी साहित्य मानता था. डॉ अनुराधा जोश ने कहा कि आचार्य शुक्ल ने हिंदी साहित्य का इतिहास लिखकर हिंदी के जिस स्वरूप को दर्शाया, उसकी प्रासंगिकता आज भी है.
जयराम शर्मा ने कहा कि आचार्य शुक्ल ने अपनी रचनाओं से समाज को एक दिशा दी. इम्तियाज गुमनाम ने उनके साहित्य को अद्वितीय, तो हौसला प्रसाद मिश्र ने उन्हें मां विंध्यवासिनी की धरती का अमूल्य रत्न बताया. इस अवसर पर वृक्षारोपण का कार्यक्रम भी हुआ. अनिल कुमार सिंह, हसन ऐजाज जौनपुरी, अमरनाथ सिंह, कृष्ण गोपाल, राम प्रवेश यादव आदि ने अपने-अपने ढंग से आचार्य शुक्ल को याद किया और यह माना कि उनके चलते इस जनपद का मान बढ़ा. कार्यक्रम का संचालन आचार्य शुक्ल के पौत्र और शिक्षण संस्थान के प्रबंधक राकेश चंद्र शुक्ल ने किया. प्रधानाचार्य आशीष चंद्र शुक्ल ने आभार प्रकट किया. इस अवसर पर ऋषभ शुक्ल, मानस मोहले, राजेश अग्रवाल, विजय कुमार गुप्ता, महेंद्र मिश्रा, अंश दुबे, हर्षित खत्री, दीपक तिवारी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे.