नई दिल्लीः अखिल भारतीय साहित्य परिषद न्यास से संबद्ध इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती ने राजधानी के रानीबाग में 'पावस काव्य संध्या' का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ जयसिंह आर्य ने की. इस अवसर पर पहली पुण्य तिथि पर सुप्रसिद्ध गीतकार पद्मविभूषण नीरज को याद किया गया. इस कार्यक्रम में गीतकार नीरज के परम शिष्य डा. संगम लाल त्रिपाठी भंवर भी  प्रतापगढ़ से पधारे. संचालन प्रसिद्ध साहित्यकार सविता चढ्ढा ने किया. गीतकार-संगीतकार रामलोचन की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. कवि गीतकार सूरजमणि त्रिपाठी, राजेन्द्र निगम राज, इंदु निगम, पुष्पलता सिन्हा, मंगलेश कुमार, हरेन्द्र प्रसाद यादव, डा अखिलेश 'अकेला', प्रवीण आर्य, डॉ कल्पना पांडेय, जगदीश चावला आदि ने अपनी कविताओं से नीरज को श्रद्धांजलि दी.

आखिर में अध्यक्षता कर रहे डा जय सिंह आर्य ने नीरज को उनके गीत 'कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे' व उनकी प्रसिद्ध रचनाओं से याद किया, जिनमें-
'अबके सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
मेरा घर छोड़के पूरे शहर में बरसात हुई
डा आर्य ने कहा कि नीरज जी के गीत लोगों के अधरों पर चढ़कर दिल में उतर जाते हैं. वो मरे नहीं, बल्कि अपने गीतों द्वारा लोगों के दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे. इस अवसर पर पावस की बूंदों पर उनकी ग़ज़ल ने भी श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया.

बरखा बहार बनके ही आई है ज़िन्दगी
कुछ रंग तो उम्मीद के लाई है ज़िन्दगी
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रोटी तो क्या यहां कोई पानी न पूछता
यह किस जगह पर खींचकर लाई है ज़िन्दगी

संयोजिका सविता चढ्ढा ने काव्य संध्या की सफलता पर सबका आभार व्यक्त किया.