नई दिल्लीः देश का बौद्धिक जगत इन दिनों #मी टू आंदोलन पर बुरी तरह उलझा हुआ है. सोशल साइट्स फेसबुक और ट्वीटर ही नहीं, टेलीविजन और अखबार भी रोज-रोज के नए खुलासों से भरे पड़े हैं. ऐसे में वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया ने भी एक युवा रचनाकार की किताब के बहाने फेसबुक पर अपनी बात कही है, जिसपर अन्य लेखकों, कथाकारों ने भी अपनी राय रखी है. ममता कालिया ने अपने पेज पर लिखा है कि, "इन दिनों जब स्त्रियों ने यौन शोषण के विरुद्ध आवाज उठा कर विश्व व्यापी मी टू का स्वरघोष किया है, प्रसिद्ध कवि पवन करण के नए काव्य संग्रह 'स्त्री शतक' पर विचार करना समयोचित होगा. भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित स्त्री शतक में पवन कारण मानों सदियों की सांकल खटखटा कर उन मौन महिलाओं को जगा रहे हैं, उनके हलक में ज़ुबान रख रहे हैं कि वे कह उठें 'मी टू'.कवि धर्मग्रंथों से, इतिहास और मिथक से, पुराण और पुरालेखों से सौ स्त्रियां ढूंढ कर लेता है जिनके साथ कभी न कभी हिंसा और क्रूरता हुई

राम की बहन का विवाह ऋष्यश्रृंग ऋषि से किया गया. क्या उसके मन में नहीं आया कि कहे "मैं किसी ऋषि से नहीं/ राम भैया जैसे किसी राजकुमार से ब्याह करना चाहती हूं."….  घटोत्कच की पत्नी मोरवी के लिए कवि कहता है, "वह किशोरी उस पुरुष की/ न तो कन्या होती न ही दोहित्री. वह तो मात्र उसकी शिकार होती." ययाति की दूसरी पत्नी शर्मिष्ठा कहती है, "तुम्हारे द्वारा किये गए अपमान की फांस/ कभी निकली ही नहीं मेरे हृदय से." कितना गिनाया जाय. आज के नारीवादी नवजागरण के लिए यह एक ज़रूरी पुस्तक बन जाय तो कोई आश्चर्य नहीं.

 कवयित्री चंद्रकला त्रिपाठी की इस प्रतिक्रिया पर की पवन करण के पास उसकी जुबान है. ममता कालिया ने स्पष्ट किया कि, 'जी किंतु मुझे लगा समाज का एक वर्ग इस 'मी टू' को जितने हल्के अंदाज़ में ले रहा है, उसे बताना होगा कि पुरुष पुरातन की धूर्तता को भी लिपिबद्ध किया जा चुका है. वंदना गुप्ता की प्रतिक्रिया थी,' किताब पढ़ी है मैंने भी और लिखा भी था इस पर…स्त्री तो आदिकाल से इस चक्रव्यूह में फंसी है और जब आज की स्त्री आवाज़ उठा रही है तो उसे दबाने की कोशिशें हो रही है.मनीष वैद्या का कहना था कि, 'जी हाँ, हमें ऐसी कई स्त्रियों के बारे में यह किताब करुणाा और क्षोभ से भर देती है. यह बताती है कि इन हजारों सालों में स्त्रियों के लिए कुछ ख़ास नहीं बदला. उन्होंने चाहे इस दुनिया को हमेशा प्रेम दिया हो, वे हमेशा ही छली गई हैं.'