नई दिल्लीः राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सम्मुख सभागार में सोसाइटी के अध्यक्ष, प्रख्यात रंग और सिने अभिनेता परेश रावल ने गायत्री प्रकाशन बीकानेर द्वारा प्रकाशित अर्जुन देव चारण की पुस्तक 'पंचम वेद- नाट्य शास्त्र: नवीन दृष्टि' का विमोचन किया. रावल ने कहा कि भारत में नाटक की प्राचीन परंपरा है और हमारे पास नाट्य शास्त्र भी है, जिसमें अभिनय विधा के हर सूक्ष्म तत्व पर बात की गई है. अफसोस इस बात का है कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में भी नाट्य शास्त्र नहीं पढ़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारतीय नाट्य शास्त्र को थिएटर के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने इस मौके पर डॉ चारण की कृति पंचम वेद को वर्तमान समय में अभिनय ही नहीं सामान्य जीवन के लिए भी उपयोगी किताब बताया.
एनएसडी के उपाध्यक्ष व कृति के लेखक डॉ अर्जुन देव चारण ने भारतीय परम्पराओं में नाट्य शास्त्र के तहत न केवल नाट्य का, बल्कि समस्त कलाओं के आधार ग्रंथ के रूप में स्थापित किया है. लेकिन होता ये है कि हम जब भी नाट्य शास्त्र की चर्चा करते हैं तो केवल रस और भाव तक केन्द्रित रहते हैं और दूसरे तमाम पक्षों को हम छोड़ कर चलते हैं, जबकि जो सिद्धांत रूप है, वो ज्यादा जरूरी है. मेरा यही ध्येय था कि ये सब आज की नई पीढ़ी के सामने आये. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सचिव प्रदीप कुमार मोहंती ने कहा कि यह पुस्तक हमारी परंपराओं से हमें तार्किक रूप से जोड़ती है, ऋग्वेद से नाट्य लिया गया यजुर्वेद से अभिनय लिया गया है, ये तो बहुत-सी किताबें बताती हैं. लेकिन क्यों लिया गया यह बात यही पुस्तक बताती है. नाट्य से जुड़े हमारे ही लोग विदेशी धारणाओं के बारे में तो खूब जानते हैं, लेकिन अपने ही नाट्यशास्त्र और अपनी नाट्य परम्परा के बारे में नहीं जानते. ऐसे में यह पुस्तक इस रूप में भी जरूरी है कि ये हमें हमारी जड़ों से जोड़ने का काम करेगी. कार्यक्रम का संचालन दीपक कुमार व प्रकाश झा ने किया.