नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने प्रख्यात साहित्यकार एवं विद्वान लेखिका पद्मा सचदेव को अपना सर्वोच्च सम्मान महत्तर सदस्यता से विभूषित किया है. अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में चंद्रशेखर कंबार ने कहा कि पद्मा सचदेव उत्कृष्ट कवयित्री तो हैं ही वे एक श्रेष्ठ अनुवादक भी है. उनका अपनी मातृभाषा से प्रेम और उसको आगे बढ़ाने का जुनून काबिले तारीफ़ है. हमारी पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि हम उनके समय में रचनात्मक कार्य कर रहे हैं. महत्तर सदस्यता प्राप्त करने के बाद अपने स्वीकृति वक्तव्य में पद्मा सचदेव ने कहा कि ‘देश की सर्वोच्च संस्था, साहित्य अकादमी द्वारा मुझे सर्वोच्च सम्मान दिए जाने पर मैं गद्गद् हूँ.’ आगे उन्होंने साहित्य अकादेमी के पूर्व सचिव प्रभाकर माचवे और इंद्रनाथ चौधुरी का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन दोनों ने ही मुझे लेखकों के एक बड़े परिवार से जोड़ा. अपने जीवन में डोगरी लोक गीतों की भूमिका का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन्हीं के करीब जाकर मैंने छंद जोड़ना सीखा. हिंदी में गद्य लेखन का श्रेय उन्होंने चर्चित साहित्यकार धर्मयुग के संपादक धर्मवीर भारती को दिया.
अर्पण समारोह के प्रारंभ में अतिथियों एवं श्रोताओं का स्वागत करते हुए साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि भारत साहित्य और लेखन की भूमि है. इसका सबसे महत्त्वपूर्ण आयाम देश की महिला रचनाकारों का योगदान है. उन्हें इस दिशा में अभी बहुत कार्य करना है, फिर भी लंबे समय से सभी भारतीय भाषाओं में महिलाओं के उत्कृष्ट योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, इनकी संख्या भले ही अधिक न हो लेकिन सभी भाषाओं में उनके लेखन की सामग्री और गुणवत्ता विश्व की बाकी लेखिकाओं से उत्कृष्ट है, चाहे वह पद्य हो या गद्य. अपने स्वागत भाषण के बाद उन्होंने पद्मा सचदेव के लिए लिखा गया प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया. पुरस्कार अर्पण समारोह के बाद संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत प्रख्यात डोगरी लेखक दर्शन-दर्शी की अध्यक्षता में इंद्रनाथ चौधुरी, चित्रा मुद्गल और मोहन सिंह ने पद्मा सचदेव से जुड़े अपने सृजनात्मक और व्यक्तिगत संबंधों को साझा किया. ज्ञात हो कि पद्मा सचदेव अकादमी की महत्तर सदस्यता सम्मान प्राप्त करने वाली आठवीं लेखिका हैं.