नई दिल्लीः भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से संबद्ध दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी व शहीद राम प्रसाद बिस्मिल शिक्षा समिति के सौजन्य से अमर बलिदानी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह के बलिदान दिवस एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफाई अभियान की अहमियत को समझाने के लिए नांगलोई के विश्वकर्मा पब्लिक स्कूल शिव विहार में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता देश के लब्धप्रतिष्ठित गीतकार डॉ जय सिंह आर्य ने की. दिल्ली के पूर्व मेयर  रहे मास्टर आजाद सिंह मुख्य अतिथि थे, तो संचालन कवि मदन मोहन मार्तंड ने किया. विश्वकर्मा पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष राजकुमार पांचाल ने सभी अतिथियों का सम्मान शाल, प्रतीक चिन्ह व पुष्प गुच्छ भेंट कर किया. कवयित्री सुषमा सवेरा ने मां सरस्वती की वंदना, 'तू शक्ति है, तू भक्ति है, तू मन भी है, तू प्राण भी; तू हर सुबह की धूप है, तू छांव है हर सांझ की' प्रस्तुत कर कार्यक्रम की शुरुआत की. गीतकार डॉक्टर जयसिंह आर्य ने राम प्रसाद बिस्मिल के बलिदान को नमन करते हुए कहा, 'भारत मां का मान था बिस्मिल, देश धर्म  की जान था बिस्मिल.' उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सफाई अभियान की प्रशंसा करते हुए दिल्ली लाइब्रेरी के अध्यक्ष डॉ रामशरण गौड़ को भी बधाई दी और कहा कि उन्होंने सफाई के प्रति जो जागरण अभियान चलाया है वह राष्ट्र के प्रति शुभ संकेत है. उन्होंने सफाई व स्वच्छता पर अपने मुक्तक में कहा, 'स्वच्छ भारत का मान कर ले तू, राष्ट्र का मन से गान कर ले तू, आप महकोगे दिल भी महकेगा, कुछ सफाई पे ध्यान कर ले तू.'

इस कवि सम्मेलन में गीतकार कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने अपनी इस कविता में भारत के लिए कहा, 'जी रहे हैं वतन के लिए, इक तिरंगे कफन के लिए, हम बनेंगे नयी रोशनी, इस पुराने भवन के लिए'. गीतकार धर्मेंद्र शर्मा ने देश के लिए  अपने भाव कुछ यूं व्यक्त किए, 'जंगे मैदान की जब घड़ी हो, शत्रु की सेना सम्मुख खड़ी हो, रक्त बन चक्षुओं में दौड़ना भवानी, शत्रु  की मुण्डी धरण पर पड़ी हो.'  कवि मदन मोहन माकन ने शहीद की बेटी पर अपनी पंक्तियों में कहा, 'उस बलिदानी बेटी की जब भी शादी और विदाई हो, वंदे मातरम की धुनि गूंजे जन गण, मन शहनाई हो.' रजनी अवनी ने बेटियों पर मार्मिक मुक्तक प्रस्तुत किया, 'बेटियां घोर अंधेरों में एक उजाला है, बेटियां खुशियों भरी मोतियों की माला हैं.' गजलकार राम श्याम 'हसीन' ने सुनाया, 'बंद है मुट्ठी तो है यह जिंदगी, रेत सी वरना फिसलती जाएगी.' गजलकार कर्ण सिंह 'करण' ने, दर्द, आहें, कराहें, पीड़ाएं, तूने किस चीज की कमी दी है' सुनाया. संजय गिरी ने कहा, 'यहां संजय तुम्हारी बात पर जिनको भरोसा है, चलेंगे साथ वही जान जो तुम पर लुटाते हैं.' कवि डॉ अशोक 'ज्योति', डॉक्टर सत्यदेव रुहिल व कवि अनुराग ठाकुर ने ने अपनी कविताओं से सभी में राष्ट्रीयता का जोश भर दिया. रामप्रसाद बिस्मिल शहीद स्मृति शिक्षा समिति के अध्यक्ष मास्टर रवीन्द्र ने सभी आमंत्रित कवियों, अतिथियों श्रोताओं का आभार व्यक्त किया.