पटना,  हिन्दी-समालोचना के शिखर पुरुष पं रामचंद्र शुक्ल  की 135  वीं जयंती पर बिहार हिंदी  साहित्य सम्मेलन में  एक समारोह आयोजित किया गया। जिसमें  बड़ी संख्या में साहित्य जगत के लोगों ने हिस्सा किया। काव्य पाठ कवियों ने उन्हें काव्यांजलि दी। समारोह का उदघाटन करते हुए, भारत सरकार के विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा किअंग्रेज़ों और अंग्रेज़ीयत के दवाब में भारत अपनी बौद्धिक क्षमता भूल गया था। ऐसे समय में पं रामचंद्र शुक्ल ने हिन्दी साहित्य का इतिहास लिख कर भारत को उसकी महान परंपरा से न केवल अवगत कराया बल्कि जन-मानस को झंकृत कर जगाया। उन्होंने हिन्दी को ऐसी ऊंचाई दी, जिसे अबतक लांघा नही जा सका है। उन्होंने हिन्दी के लिए कुबेर का ख़ज़ाना छोड़ा है। "

संगोष्ठी एवं कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा सुलभ ने कहा  " शुक्ल जी ने अपने संघर्षपूर्ण जीवन से, मानव-मस्तिष्क और उसके विचारों को पढ़ने की एक विलक्षण शक्ति प्राप्त की थी। उन्हें मानव-मन को समझने और उसके विश्लेषण की अद्भुत क्षमता प्राप्त थी। एक कुशल मनोवैज्ञानिक की भांति वे कविता के मर्म को कुछ पंक्तियों के अवलोकन से हीं भांप लेते थे।

पटना उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त, कार्यकारी प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, डा शंकर प्रसाद, प्रो वासुकी नाथ झा, डा विनोद शर्मा, श्रीकांत सत्यदर्शी, डा मेहता नगेंद्र सिंह, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, कुमार अनुपम तथा डा सुधा सिन्हा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी के बाद कवि सम्मेलन  आयोजित किया गया। ओज के कवि ओम् प्रकाश पाण्डेय, डा पुष्पा जमुआर, कालिन्दी त्रिवेदी, सुनील कुमार दूबे, सागरिका राय, मासूमा खातून, डा विश्वनाथ वर्मा, ऋषिकेश पाठक, कवि घनश्याम, रवि घोष, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, डा शालिनी पांडेय, पंकज प्रियम, शुभचंद्र सिन्हा, बच्चा ठाकुर, पूनम सिन्हा 'श्रेयसी', लता प्रासर, दिनेश दिवाकर, प्रभात कुमार धवन, पं गणेश झा, अविनाश कुमार पांडेय, मधु रानी, संजू शरण, डा सुलक्ष्मी कुमारी, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, प्राची झा, अंकेश कुमार, अश्विनी कुमार, नेहाल कुमार सिंह, अर्जुन प्रसाद सिंह, ऋतुराज पूजा, सच्चिदानंद सिन्हा, शंकर शरण आर्य, अर्चना सिन्हा, इंद्रजीत कुमार, राकेश सिंह सोनू, धर्मवीर कुमार शर्मा ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।

 मंच संचालन कवि योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने  जबकि धन्यवाद-ज्ञापन प्रबंध मंत्री कृष्णरंजन सिंह ने किया।