रायपुर: “गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही का क्षेत्र छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता और साहित्य का उद्गम स्थल है और यह क्षेत्र साहित्यकारों और पत्रकारों के लिए पवित्र भूमि है. यह वही भूमि है जहां हिंदी साहित्य की पहली कहानी का उद्गम हुआ है.” छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ये बातें श्रीकांत वर्मा पीठ बिलासपुर और जिला प्रशासन के सहयोग से मूर्धन्य साहित्यकार पंडित माधवराव सप्रे की 152वीं जयंती के अवसर पर आयोजित सप्रे स्मृति महोत्सव में कही. इस अवसर पर व्याख्यान और विचार संगोष्ठी का आयोजन हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि उनके कार्यकाल में गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही को नये जिले के रूप में गौरव मिला. मुख्यमंत्री ने कहा कि पेण्ड्रा शहर का इतिहास बहुत पुराना है. यहां से सन 1900 में छत्तीसगढ़ मित्र अखबार का प्रकाशन आरंभ हुआ. पहली कहानी भी यहीं लिखी गई. यहां की मिट्टी में पत्रकारिता और साहित्य रचा-बसा है. यह क्षेत्र अरपा ही नहीं, पत्रकारिता और साहित्य का उद्गम स्थल भी है.

मुख्यमंत्री ने सप्रे स्मृति महोत्सव में प्रदेश और देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए साहित्यकारों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि यहां की आबोहवा इतनी अच्छी है कि गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर भी अपनी पत्नी के साथ यहां स्वास्थ्य लाभ लेने आए थे. महोत्सव में भारतीय नवजागरण और समकालीनता, आंचलिक पत्रकारिता और दायित्वबोध जैसे विषयों पर व्याख्यान और विचार गोष्ठी हुई. जिले के प्रभारी मंत्री और राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने इसे ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में लगातार जिले का विकास हो रहा है और ऐसे आयोजनों से छत्तीसगढ़ को बौद्धिक क्षेत्र में नई पहचान मिल रही है. पंडित माधवराव सप्रे स्मृति महोत्सव में रांची के साहित्यकार रविभूषण, रायपुर के दिवाकर मुक्तिबोध, नई दिल्ली के सुदीप ठाकुर, केरल के अच्युतानंद मिश्र के सम्मान के अलावा विश्वेश ठाकरे, वेदचंद जैन, अक्षय नामदेव, अजित गहलोत सहित अंचल के कई प्रबुद्ध लेखक, साहित्यकार और पत्रकार शामिल हुए. जिलाधिकारी प्रियंका ऋषि महोबिया ने आरंभ में स्वागत उद्बोधन दिया.