सहारनपुर: नगर के एक सभागार में साहित्यिक संस्था समन्वयने पटना से आये साहित्यकार नचिकेता को सारस्वत सम्मान’, लखनऊ की संध्या सिंह व बुलंदशहर से पधारी निर्देश निधि को सृजन सम्मानसे समादृत किया. इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार नचिकेता, ग़ज़लकार विज्ञान व्रत व डॉ. अश्वघोष, लोकप्रिय गीतकार राजेंद्र राजन, साहित्यकार निर्देश निधि तथा संध्या सिंह ने डॉ. वीरेंद्र आज़म द्वारा संपादित साहित्यिक पत्रिका 'शीतलवाणी' हिंदी त्रैमासिक के नीरज-बैरागी श्रद्धांजलिअंक का लोकार्पण भी किया. वक्ताओं ने पत्रिका की साहित्यिक यात्रा को सराहते हुए डॉ. वीरेंद्र आज़मको इसके निरंतर प्रकाशन और कुशल संपादन की बधाई दी. डॉ. अश्वघोष ने कहा कि शीतलवाणी न केवल हिंदी को समृद्ध करने की दिशा में महत्वपूर्ण काम कर रही है, बल्कि अपने विशेषांकों के माध्यम से हिंदी के गौरवमयी इतिहास से भी पाठकों को रु-ब-रु करा रही है. विज्ञान व्रत ने कहा कि शीतलवाणी ने नये रचनाकारों को मंच उपलब्ध कराया है और हिंदी की साहित्यिक व सांस्कृतिक विरासत को संजोने का काम किया है.पग

इस अवसर पर गीतकार राजेंद्र राजन ने कहा कि आज के समय में हिंदी पत्रिकाओं का प्रकाशन मुश्किल काम है. उन्होंने शीतलवाणीके उदयप्रकाश, से.रा. यात्री, डॉ.लक्ष्मी नारायण लाल, डॉ. द्वारिका प्रसाद सक्सेना, कमला प्रसाद, कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर व नरेश सक्सेना आदि पर केंद्रित विशेषांकों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पत्रिका ने साहित्यिक पत्रकारिता में नये आयाम स्थापित किये हैं. संपादक डॉ. वीरेंद्र आज़म ने कहा कि आज जब अंग्रेज़ी को लोग तरक्की की भाषा मानकर हिंदी की उसके अपने ही घर में उपेक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे वातावरण में हिंदी पत्रिकाओं का यह दायित्व है कि वे साहित्य को आम जन से जोड़ते हुए अपनी नयी पीढ़ी में हिंदी के प्रति जागरुकता लाने का काम करें, शीतलवाणी यही प्रयास कर रही है. इस पत्रिका के विशेषांकों का उद्देश्य शोधार्थियों को शोध के लिए एक मंच पर सामग्री उपलब्ध कराना रहा है.