नई दिल्लीः लगता है चुनाव के दिनों में लोक कलाकारों के दिन भी कुछ बहुरेंगे. कम से कम निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों को देखकर तो यही लग रहा. निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार की बाबत खर्च की मंजूरशुदा रेट लिस्ट में नाटक, नौटंकी, आल्हा, बिरहा, कठपुतली, जादू और खेल तमाशे का भाव भी तय किया है. लोक कलाकारों के ऊपर सियासी दलों या नेताओं द्वारा किए जाने वाले खर्च को इस रूप में संभवतः पहली बार किसी संवैधानिक संस्थान से स्वीकृति मिली है. जनवरी की शुरुआत में निर्वाचन आयोग ने राज्य विधानसभा चुनावों के लिए खर्च की सीमा 28 लाख रुपए से बढ़ाकर 40 लाख रुपए कर दी है. अब इन खर्चों का मद भी निर्धारित कर दिया गया है कि कहां, कितनी तक धनराशि खर्च की जा सकती है या खर्च के ब्योरे में दिखाई जा सकती है. आयोग ने खर्च की सीमा महंगाई बढ़ने के साथ आभासी रूप में प्रचार करने के चलते डिजिटल और सोशल मीडिया पर होने वाले अतिरिक्त खर्च को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया है.
बहरहाल इस सूची के अनुसार अगर उम्मीदवार लोक गायक के जरिए चुनाव सभा में प्रचार करवाना चाहता है, तो उसे लोकगीत, बिरहा, कव्वाली या आल्हा गाने वाले लोक गायक को साढ़े पांच हजार रुपए दिहाड़ी के हिसाब से भुगतान करना होगा. कठपुतली, जादू और खेल तमाशे के जरिए एक्चुअल या वर्चुअल मोड से चुनाव प्रचार करने वाले कलाकारों को 2500 रुपए प्रतिदिन की दर से भुगतान करना होगा. राजनीतिक लघु नाटिका, नृत्य यानी रंगमंच के जरिए उम्मीदवार के समर्थन में चुनाव प्रचार कर माहौल बनाने वाले कलाकार दलों को छह हजार रुपए, बड़े सांस्कृतिक दलों को 8000 रुपए की दर से भुगतान करना होगा या इस खर्चे को आयोग मानेगा. प्रचार के दौरान राजनीतिक नाटक, नौटंकी, भांड, मिरासी दल को 3500 रुपए रोजाना, ढोल खंजरी दल को हजार रुपए और अंग्रेजी बैंड बाजा पार्टी को 3500 रुपए तक रोजाना का भुगतान किया या दिखाया जा सकता है, बशर्ते ऐसे आयोजन के लिए चुनाव अधिकारी से लिखित मंजूरी प्राप्त कर ली गई हो.