नई दिल्लीः हिंदी रंगभूमि, रज़ा फाउण्डेशन और संगीत नाटक अकादेमी के संयुक्त सहयोग से मंडी हाउस के रविंद्र भवन स्थित मेघदूत सभागार में दो दिवसीय 'नाच: लोक उत्सव' का आयोजन हुआ. यह उत्सव बिहार के लोक पारम्परिक और प्रदर्शनकारी कलाओं पर केंद्रित था, जिसमें बिहार की विभिन्न सांस्कृतिक और भाषाई लोक प्रदर्शनकारी कलाओं को शामिल किया गया था. इस समारोह का उद्घाटन लोक कला विशेषज्ञ वागीश कुमार झा और सुमन कुमार ने किया. उसके बाद हिंदी रंगभूमि के कलाकारों संजय झा और उनके साथियों ने 'विद्यापति संगीत' के सुमधुर गायन को प्रस्तुत किया. दूसरी प्रस्तुति बक्सर बिहार से आए लोक आदिवासी कलाकारों के 'गोंड़ नाच' की थी, जिसमें प्रकृति, परम्परा, भाषा, लौकिक दर्शन के साथ लोक नाट्य यात्रा के विभिन्न अवयवों का विहंगम संगम हुआ. तीसरी प्रस्तुति बेगूसराय की 'बहुरा गोढ़िन' की थी. सच्ची लोक घटना पर आधारित यह प्रस्तुति कथा गायन शैली में हुई, जिसे लोक कलाकार लक्ष्मी यादव ने गाया. पहले दिन की आखिरी प्रस्तुति दीप, झंझारपुर,मधुबनी से आए पमरिया कलाकारों इसराइल पमरिया द्वारा नाचे-गाए सोहर और बधैया से सम्पन्न हुई. इस दिन मंच संचालन रंगकर्मी प्रकाश झा ने किया

लोक उत्सव के दूसरे दिन तीन सत्रों में विभाजित सेमिनार का आयोजन  हुआ. पहला सत्र – लोक कलाकारों के संग वार्ता – जिसमें लोक कलाकार इसराइल अब्बासी, प्रभु कुमार, जैनेंद्र दोस्त और लक्ष्मी यादव ने शिरकत की. दूसरा सत्र – बिहार के लोक कला पर गंभीर कार्य और चिंतन करने वाले विद्वत्जनों के संग बातचीत का था, जिसमें – कैलाश कुमार झा, भुनेश्वर भास्कर, वागीश कुमार, कमलानंद झा और सुमन कुमार शामिल हुए. इस सत्र का संचालन मुन्ना पांडे ने किया और अध्यक्षता गंगेश गुंजन ने की.सेमिनार के तीसरे सत्र में दर्शक, प्रेक्षक, लोक कला विशेषज्ञ और कलाकार शामिल हुए. शाम को कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी. जिसके तहत समस्तीपुर बिहार के गायक कलाकार मुकेश भारती ने लाल दास कृत 'मिथिला रामायण' का कथा गायन किया. लक्ष्मी यादव एंड पार्टी ने मगध बिहार की मशहूर लोक कथा 'रेशमा चूहड़मल' का कथा गायन, तो 'पमरिया नाच' के कलाकरों द्वारा पमार वंश की कथा का प्रदर्शन हुआ. गोंड़ नाच के कलाकारों ने शिव विवाह लोक नाटक का मंचन किया. आखिर में महान लोक नर्तक, गायक, कलाकार भिखारी ठाकुर के जीवन और सृजन पर केंद्रित 'भिखारीनामा' का मंचन भिखारी ठाकुर रंगमंडल छपरा के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया. मंच का संचालन संस्कृतिकर्मी मुन्ना पांडे ने किया.