पटना, 4 सितंबर, कवि मधुरेश नारायण के कंकड़बाग,पटना स्थित  आवास पर  एक काव्य पाठ का आयोजन व संस्था 'नागरिक काव्य मंच ' का गठन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भगवती प्रसाद द्विवेदी ने की संचालन  मो. नसीम अख्तर ने किया. इसमें काफी संख्या में युवा कवि-कवयित्रियों ने अपनी भागीदारी की.मधुरेश नारायण ने दौपदी की उपमा देकर स्त्रियों के दर्द को अभिव्यक्त किया

" द्रौपदी बनी आज की नारी खड़े सभी चीर हरण को

धन-लोलुपता के आगे कोई बढ़ता नहीं सीता वरण को 

आज बचा लो लज्जा इनकी ओ राधे के श्याम

 

सिद्धेश्वर ने भी  की दौपदीपर हुई कविता लिखी 

" एक लिबास क्या उतरा 

औरत के जिस्म से

धर्म, कानून, समाज 

सबके सब नंगे हो गए

 

प्रभात कुमार धवन गाँव  को याद करते हैं।

" हरियाली ही धन था वहाँ का

इसलिए स्वस्थ थे वहाँ के लोग

एम. के. मधु ने धूर्त नेताओं और भोली जनता के बीच के रिश्ते को कुछ यूं बयान किया

" तुम तो बस जमूरे थे

कदम तुम्हारे थे, ताल तुम्हारे थे

डमरू हमारा था, रस्सी भी हमारी थी

 

शशिकान्त श्रीवास्तव ने   मोबाइल और इंटरनेट में वंचित वर्ग  

" रोटी के लिए न कोई हो-हल्ला न कोई विरोध प्रदर्शन 

मानों हम सब हों संतुष्ट मिल रहा हो पेट भर भोजन

सीताराम कलाकार ने नारी भ्रूण हत्या का मुदा सशक्त रूप से उठाया.

" हमरा के आपन कोख में निर्ममता से वध कराके

हमार शादी के परेशानी से तू सीधे निकल गइलू"

सतीश प्रसाद सिन्हा  की सावन को आधार बनाकर लिखी गयी रचना

" सावन सावन मन हो जाए

रिमझिम नेह झरे

मीत तुम ऐसे गीत लिखो

 सांस्कृतिक पत्रकार हेमन्त दास 'हिमकी रचना थी

" तुम आये तो ऐसा लगा / धूप में शीतल पवन बहा

पत्ते पत्ते फूल व खुशबू / प्यारा प्यारा हर लम्हा

"

उषा नरूला ने हँसी को केंद्र कर रचना सुनाई

" अपने पर हँसो तो उपहार है

दूसरों पर हँसो तो प्रहार है

 

लता प्रासर ने  कृष्ण को बांसुरी करार देते हुए कहा 

" लफ्ज मेरे सरताज की कानों में पड़ी है जब से

बाँसुरी की धुन सी मानो बज पड़ी है तब से

घनश्याम के अनुसार 

" अमन का जिस्म जब जब चोट खाकर क्रुद्ध होता है

तो जीवन मौत का जमकर भयंकर युद्ध होता है.

 अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भगवती प्रसाद द्विवेदी ने उनके पूर्व पढ़ी गई रचनाओं पर टिप्पणी की और कहा कि  " इस गोष्ठी में कवियों की तीन पीढ़ियों को एक साथ देख पाना सुखद है.भगवती द्विवेदी ने खुद भी अपनी एक रचना सुनाई।

" हाट बाजार मैम का साहबजादे का घोड़ा

फिक से हिन-हिन करता रहता

खा-खाकर कोड़ा.

हरेंद्र सिन्हा ने आये हुए सभी कवि-कवयित्रियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। इसी सभा में राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच का गठन भी किया गया जिसके अध्यक्ष मधुरेश नारायण बनाये गए. इसके संरक्षक मंडल में भगवती प्रसाद द्विवेदी, सतीश प्रसाद सिन्हा, डॉ.मेहता नागेन्द्र, सीताराम  , आशा शरणकलाकार और डॉ. अविनाश कु. श्रीवास्तव रहेंगे.