फिल्म जगत के असाधारण कलाकार नसीरुद्दीन शाह ने जब अंग्रेजी में अपनी आत्मकथा ‘ऐंड देन वन डे- अ मेमोयार’ यानी ‘और फिर एक दिन- एक संस्मरण‘ लिखी तो उससे उनके अंदर के लेखक का पता चला. इस किताब से उनके जीवन के ऐसे तथ्य उजागर हुए कि लगा कि इसका दूसरा भाग भी जल्द ही आएगा, पर नसीर ने साफ मना कर दिया और बॉलीवुड पर अपने अनुभवों को लेकर किताब लिखने की बात कही. हालांकि अभी तक वह किताब नहीं आई, पर उनके प्रशंसक पाठक नाउम्मीद नहीं हैं. नसीरुद्दीन शाह का जन्म 20 जुलाई, 1950 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में हुआ था. नसीरूद्दीन शाह ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और फिर उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला ले लिया. अभिनय का विधिवत प्रशिक्षण हासिल करने के बाद वे रंगमंच और हिन्दी फ़िल्मों में सक्रिय हो गए. नसीरूद्दीन शाह की फ़िल्मों की सूची में समानांतर और मुख्य धारा की फ़िल्मों का अनूठा सम्मिलन देखने को मिलता है.
नसीरूद्दीन शाह ने अपने कॅरियर की शुरुआत फ़िल्म ‘निशांत‘ से की थी जिसमें उनके अभिनय की सबने सराहना की. इसके बाद उन्होंने ‘आक्रोश‘, ‘स्पर्श‘, ‘मिर्च मसाला‘, ‘अलबर्ट पिंटों को गुस्सा क्यों आता है‘, ‘मंडी‘, ‘मोहन जोशी हाज़िर हो‘, ‘भवनी भवाई‘, ‘चक्र‘, ‘अर्द्ध सत्य‘, ‘कथा‘ जैसी कई आर्ट फ़िल्में कीं. इस दौरान वह व्यावसायिक फ़िल्मों में भी सक्रिय रहे. ‘मासूम’, ‘कर्मा’, ‘इजाज़त’, ‘जलवा’, ‘हीरो हीरालाल’, ‘गुलामी’, ‘त्रिदेव’, ‘विश्वात्मा’, ‘मोहरा’, सरफ़रोश‘, ‘ए वेडनस डे‘ जैसी फ़िल्में कर उन्होंने साबित किया कि वह सिर्फ आर्ट ही नहीं कॉमर्शियल फ़िल्में भी कर सकते हैं. नसीरूद्दीन शाह के फ़िल्मी सफर में एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने मसाला हिन्दी फ़िल्मों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कोई हिचक नहीं दिखायी. ‘इश्किया‘, ‘राजनीति‘ , ‘सात खून माफ‘ और ‘डर्टी पिक्चर‘ और ‘जिंदगी ना मिलेगी दुबारा‘ जैसी फ़िल्मों में अपने अभिनय का जादू बिखेर चुके हैं. नसीरूद्दीन शाह ने एक फ़िल्म का निर्देशन भी किया और हॉलीवुड फ़िल्म ‘द लीग ऑफ एक्सट्रा ऑर्डिनरी जेंटलमेन‘ में भी भूमिका निभाई.‘हे राम‘ में वह गांधी बने तो गुलजार के धारावाहिक में मिर्जा गालिब का किरदार निभाया.
पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित नसीरूद्दीन शाह को ‘मासूम‘, ‘चक्र‘ और ‘आक्रोश‘ फिल्म में अभिनय के लिए फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार, फ़िल्म ‘स्पर्श’, ‘इकबाल’ और ‘पार’ के लिए सर्वश्रेष्ट अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार और ‘संगीत नाटक अकादमी अवार्ड‘ से सम्मानित किया जा चुका है.