3 सितंबर धर्मवीर भारती की पुण्यतिथि है. गुनाहों का देवता, सूरज का सातवां घोड़ा,  ठंडा लोहा, कनुप्रिया, अंधा युग जैसी रचनाओं से उन्होंने हिंदी साहित्य जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी. उनका जन्म 25 दिसंबर, 1926 को इलाहाबाद के अतारसुइया में हुआ था. उन्होंने हिंदी की प्रमुख साप्ताहिक पत्रिका 'धर्मयुग' के प्रधान संपादक के तौर पर नए रचनाकारों के साथ ही स्थापित लेखकों की उत्कृष्ट रचनाओं को प्रकाशित कर संपादक के तौर पर भी अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई. उनकी प्रमुख कृतियों में कहानी संग्रह : मुर्दों का गांव, स्वर्ग और पृथ्वी, चांद और टूटे हुए लोग, बंद गली का आखिरी मकान, सास की कलम से, समस्त कहानियां एक साथ; काव्य रचनाओं में ठंडा लोहा, अंधा युग, सात गीत वर्ष, कनुप्रिया, सपना अभी भी, आद्यन्त; उपन्यासों में गुनाहों का देवता, सूरज का सातवां घोड़ा, ग्यारह सपनों का देश, प्रारंभ व समापन; निबंध ठेले पर हिमालय और पश्यंती खास हैं.  

कहते हैं, धर्मवीर भारती का काव्य नाटक अंधा युग भारतीय रंगमंच का एक महत्वपूर्ण नाटक है. महाभारत युद्ध के अंतिम दिन पर आधारित यह नाटक कई दशकों से बड़े निर्देशकों द्वारा मंचित हो रहा है, जिनमें इब्राहीम अलकाजी, रतन थियम, अरविन्द गौड़, राम गोपाल बजाज, मोहन महर्षि, एम के रैना जैसी हस्तियां शामिल हैं. युद्ध और उसके बाद की समस्याओं और मानवीय महत्वाकांक्षा पर आधारित यह नाटक काव्य रंगमंच को दृष्टि में रखकर लिखा गया है. नए संदर्भ और कुछ नवीन अर्थों के साथ अंधा युग को लिखा गया है. अंधा युग में कृष्ण के चरित्र के नए आयाम और अश्वत्थामा का ताकतवर चरित्र है, जिसमें वर्तमान युवा की कुंठा और संघर्ष उभरकर सामने आता है. जाहिर है डॉ धर्मवीर भारती ने उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंध, कविता विधा में भरपूर साहित्य सृजन किया और आज भी उनकी रचनाएं पाठकों और युवाओं को झकझोरती हैं.