धमतरी: जिला हिंदी साहित्य समिति ने अपने संरक्षक और प्रसिद्ध व्यंग्यकार त्रिभुवन पांडे की प्रथम पुण्यतिथि पर स्थानीय सार्थक स्कूल श्रद्धांजलि गोष्ठी का आयोजन किया. इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों ने उन्हें याद किया. विनोद रणसिंह ने कहा कि त्रिभुवन पांडे सरल व्यक्तित्व के धनी थे. पर हिंदी साहित्य में उनकी प्रतिभा बहुमुखी थी. कमलेश पांडे ने बताया कि बाबूजी साहित्यिक कार्यक्रम में जाने के पूर्व गंभीर रूप से अध्ययन करते थे और पूरी तैयारी के साथ ही बोलते थे. साहित्य की लगभग सभी विधाओं में उन्होंने अपनी कलम चलाई. रंजीत भट्टाचार्य ने उनकी लिखी गजल का पाठ किया. सुरजीत नवदीप ने कहा कि मेरे लिए यह पल बहुत ही भावुक है. डॉ रचना मिश्रा ने कहा त्रिभुवन पांडे कुशल संयोजक रहे. छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक यात्रा चंदैनी गोंदा देखने के बाद वास्तविक छत्तीसगढ़ को जाना. मेरी दो पुस्तक के प्रकाशन, संयोजन में उन्हीं की भूमिका रही.
मदन मोहन खंडेलवाल ने कहा वे अच्छे मार्गदर्शक ईमानदार इनसान, पक्के साहित्यकार और अनुशासन प्रिय थे. गोपाल शर्मा ने कहा वे बेबाक व्यक्तित्व के धनी थे. हिंदी साहित्य के स्तंभ थे. डॉ सरिता दोशी ने बताया कि सुखद अनुभूति होती अच्छे संस्मरण सुनने को मिला, कॉलेज में कविता लिखने हेतु सदैव प्रोत्साहित करते थे. आकाशगिरी गोस्वामी ने उनके लिखे नाटकों को एकल अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत किया. राजेंद्र सिन्हा ने कहा अगर पांडे जी से मुलाकात नहीं हुई होती तो स्वर्णिम पल में बीते संस्मरण से वंचित हो जाता. डॉ भूपेंद्र सोनी ने कवि सम्मेलन में हुई मुलाकात को याद करते हुए अपनी रचनाओं का पाठ किया. हिंदी साहित्य की स्नातकोत्तर छात्रा कुमारी माधुरी मारकंडे भ्रष्टाचार, मानवता पर आधारित रचना का पाठ किया. धमतरी जिला हिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष डुमन लाल ध्रुव ने पांडे को याद करते हुए कहा कि वे जितना लिखते थे उससे अधिक पढ़ते थे. साहित्य सृजन के साथ-साथ उत्सवधर्मिता उनमें कूट-कूट कर भरी थी. इस अवसर पर प्रेम शंकर चौबे, धनंजय पांडे, देवेश पांडे, सचिन पांडे, सांची पांडे आदि लोग प्रमुख रूप से उपस्थित थे.