वाराणसीः काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय के हिंदी विभाग और प्रगति लेखक संघ वाराणसी ने संयुक्त रूप से 'संवाद-परिसंवाद' नामक कार्यक्रम आयोजित किया. यह कार्यक्रम लेखिका गरिमा श्रीवास्तव की पुस्तक 'देह ही देश' पर केंद्रित था. कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए आचार्य प्रोफेसर आशीष त्रिपाठी ने कहा की 'देह ही देश' की रचना प्रक्रिया कथेतर साहित्य के नवीन विधा का सृजन करती है. 'देह ही देश' साहित्य की अनेक विधाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली एक महत्वपूर्ण रचना है. झूठा-सच का संदर्भ लेते हुए आचार्य ने इस पुस्तक की रचना प्रक्रिया को रूपायित किया. प्रोफेसर अवधेश प्रधान ने कहा कि गरिमा श्रीवास्तव की पुस्तक केवल स्त्री तक सीमित न होकर व्यापक स्तर पर मानवीय संवेदनाओं को उद्घाटित  करती है. पुस्तक की लेखिका प्रोफेसर गरिमा श्रीवास्तव ने 'देह ही देश' पुस्तक लेखन की प्रक्रिया पर बात करते हुए अपने क्रोएशिया प्रवास की चर्चा की. लेखिका ने क्रोएशिया में 400 से अधिक बलात्कार राहत कैंप का जिक्र करते हुए वहां की स्त्रियों की वर्तमान स्थिति उजागर करते हुए कहा कि उनके मन में किसी पुस्तक के प्रकाशन की कोई योजना नहीं थी, लेकिन एक उद्देश्य जरूर था कि समाज को वहां की स्थितियों से अवगत कराया जाये और 'देह ही देश' के रूप में यह आपके सामने है.
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में हिंदी की प्रतिष्ठित कवयित्री तथा महिला महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर चंद्रकला त्रिपाठी ने कहा कि 'देह ही देश' समाज को नई दृष्टि से देखने की पुस्तक है. इस पुस्तक को 'मनुष्यता की बेदखली' का इतिहास व्याख्यायित करते हुए प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि योनि हिंसा जब भी किसी स्त्री पर होती है तो वह उसको और निहत्थी करती है. कार्यक्रम की शुरुआत में ही डॉ. वंदना चौबे ने गरिमा श्रीवास्तव के रचना कर्म पर बात करते हुए 'देह ही देश' पर विस्तृत चर्चा की. 'संवाद-परिसंवाद' नामक इस कार्यक्रम का संचालन हिंदी के आचार्य डॉ. नीरज खरे ने किया. धन्यवाद ज्ञापन महिला महाविद्यालय की आचार्या प्रो.सुमन जैन ने किया. अतिथियों के स्वागत के साथ विषय प्रस्तावना का कार्य  डॉ. प्रभाकर सिंह ने किया. कार्यक्रम की खास बात यह रही कि हिंदी साहित्य के प्रोफेसर व विद्वानों के अलावा इसमें शोधार्थी निवेदिता एवं ज्योति तिवारी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए. इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं के साथ दूसरे विभागों के भी साहित्य-प्रेमी प्रोफेसर और शहर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे.