नई दिल्लीः अपने गीतों से हर दिल में अपनी जगह बनाने वाले पद्मभूषण से सम्मानित महाकवि डॉ गोपालदास नीरज की द्वितीय पुण्यतिथि पर कोरोना के चलते वैसे जलसे तो नहीं सजे जैसे पिछले साल देश भर में उनके चाहने वालों ने सजाए थे, पर इस साल भी काव्य महफिल सजी और सोशल मीडिया सहित पूरे देश में उन्हें और उनके लिखे गीतों को शिद्दत से याद किया गया. पर नीरज की कर्मभूमि अलीगढ़ में अलग ही नजारा था, यहां कोरोना के बावजूद सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कई आयोजन हुए. पुत्र मिलन प्रभात गुंजन, पुत्रबधु रंजना सक्सेना, पौत्र पल्लव नीरज, पौत्रवधु अंकुर रिमझिम, पौत्री आकांशा नीरज, सामाद प्रशांत गौड़, प्रपौत्र निवान नीरज, प्रपौत्री अनूक नीरज, अनायरा गौड़ और रायना गौड़ ने नीरज जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया. मनोज अलीगढ़ी ने शरद बंसल, मोहित अग्रवाल, शिव कुमार सक्सेना आदि के साथ नुमाइश मैदान स्थित पहुंचकर महाकवि नीरज की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा, नीरज हमेशा केवल इस शहर में ही नहीं देशवासियों की यादों में रहेंगे.
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव विवेक बंसल ने भी गोपालदास नीरज की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और कहा कि नीरज ने अपनी कविताओं से अलीगढ़ को एक अलग पहचान दी. इस मौके पर ऋषि भारद्वाज, सीपी गौतम, अशोक सिंह, मोहनलाल, विन्सेंट जोयल आदि लोग मौजूद थे. अलीगढ़ कल्चरल क्लब ने भी नीरज को श्रद्धांजलि दी. क्लब के चेयरमैन प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि नीरज के गीत दुनिया में झूमते रहेंगे. बाल कलाकार हिमाद्री धीरज का कहना था कि दादाजी का आशीर्वाद उन्हें हमेशा मिलता रहा, वह भाग्यशाली हैं. सचिव पंकज धीरज ने कहा कि नीरज को कभी भुलाया नहीं जा सकता. इस मौके पर वरुण सूरी, लोकेश मित्तल, अंकित आदि भी मौजूद थे. इस अवसर पर शहर के चिकित्सक डॉ सीके आंधीवाल ने गोष्ठी आयोजित की. उन्होंने कहा कि नीरज को भुलाया नहीं जा सकता है. उनके साथ लंबा समय व्यतीत किया. नीरज संत और दार्शनिक थे. गायक अनिल वर्मा ने नीरज का मशहूर गीत, ए भाई जरा देख के चलो, आगे ही नहीं पीछे भी' गाकर सुनाया.