नई दिल्लीः साहित्यकार कैसे आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा दे रहा हैइसे समझना हो तो गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर की 158वीं जयंती पर देश भर के शिक्षा केंद्रों में मनाए जा रहे कार्यक्रमों की झलक देखना चाहिए. यहां हम बिहारराजस्थानमध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के कुछ विद्यालयों के कार्यक्रमों का जिक्र कर रहे. बिहार के लखीसराय के स्थानीय बालिका विद्यापीठ विद्यालय के गीता मंदिर प्रेक्षागृह में विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य शैलेन्द्र कुमार सिंह एवं मुख्य प्रशासनिक पदाधिकारी आलोक राज ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की. कक्षा छह की छात्रा दीपा कुमारीसौम्यासेजल कुमारीतृप्ति कुमारीश्रेया कुमारी ने रविन्द्र संगीत 'अग्नि की पारसमणिसे 'छू लो प्राण गीतप्रस्तुत किया. गुरु टैगोर की जीवनी पर छात्रा दीपा कुमारीसाल्वी कुमारीप्रज्ञा कुमारी ने अपनी प्रस्तुति दी. गीतांजलि की कविताओं का पाठ छात्रा श्रुति कुमारी ने और लालसा ग्रुप ने बांग्ला गीत 'मोमो चीते नित्य नित्यमकी सराहनीय प्रस्तुति की. छात्रा आकांक्षा कुमारीअंजली कुमारीअदिति कुमारीशालनी कुमारी ने गीत 'चांद की हंसी बांध टूटे हैं..की भावपूर्ण प्रस्तुति दी. शिक्षिका रूपम कुमारीललित कला विभाग के वरुण मांजीपार्थो सरकारराधा किशोर मंडलगुड्डू कुमार आदि का सराहनीय योगदान रहा.
राजस्थान के उदयपुर विद्या भवन स्कूल में टैगोर जयंती विद्या भवन ऑडिटोरियम में हुई. यहां बच्चों ने विद्या भवन और शांतिनिकेतन की समानताओं व प्राकृतिक वातावरण में बालकों की शिक्षा जैसे विषय पर प्रस्तुतियां दी. कार्यक्रम में गुरुदेव की कविताकहानियों और संगीत जैसी विधा भी प्रस्तुत की गई. उत्तर प्रदेश के कई स्कूल भी ऐसे कार्यक्रमों से भरे रहे. मुजफ्फरनगर के जानसठ रोड स्थित लाला जगदीश प्रसाद सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में काफी वृहद कार्यक्रम हुआ. मध्य प्रदेश के सीहोर केन्द्रीय विद्यालय में भी एक कार्यक्रम हुआ. 'लाइब्रेरी रीच टू यूनवांमेषण के तहत गीतांजलि पुस्तक के बारे में सृष्टि चौहान ने चर्चा की तो टैगोर के सुप्रसिद्ध गीत 'जोदि तोर डाक शुने के उ ना आसे तबे एकला चोलो रेका प्रस्तुतीकरण रोहिणीमानवीअदितिपियूषी कक्षा द्वारा दिया गया. इस अवसर पर पुस्तकालय में टैगोर की साहित्य प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया.