नई दिल्लीः देशबन्धु महाविद्यालय के हिंदी विभाग और लिखावट संस्था के संयुक्त तत्त्वावधान में विद्यालय के गालिब सभागार में कविता पाठ का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता देशबन्धु महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ॰ राजीव अग्रवाल ने की. युवा आलोचक, आलोचना पत्रिका के संपादक और देशबन्धु महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ॰ संजीव कुमार ने स्वागत वक्तव्य देते हुए प्रश्न किया कि साहित्य में कविता की क्या जरूरत है? उन्होंने समकालीन कविता के संकटों की तरफ भी इशारा किया. इसके साथ ही उन्होंने हिंदी कविता के प्रचार-प्रसार में लिखावट संस्था की भूमिका का भी उल्लेख किया. उनका कहना था कि ऐसे कार्यक्रमों से कविता और उसके पाठकों, श्रोताओं के बीच बढ़ रही दूरी को कम किया जा सकता है. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ॰ राजीव अग्रवाल ने अध्यक्षीय भाषण में दावा किया कि वर्तमान में हिंदी की स्थिति में सुधार हो रहा है और उम्मीद जताई कि इस तरह के कार्यक्रम हिंदी के प्रचार-प्रसार में सकारात्मक भूमिका निभाएंगे.

इस काव्य-संगोष्ठी में आमंत्रित कवियों में मृदुला शुक्ल, डॉ॰ मनोज कुमार सिंह, राकेश रेणु, संजय कुंदन, मिथिलेश श्रीवास्तव और दिविक रमेश ने अपनी-अपनी कविताएं पढ़ीं और खूब तालियां बटोरी. महाविद्यालय की छात्र-छात्राएं, उपस्थित विद्वानगण लाभान्वित हुए. कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अतिथियों का स्वागत छात्राओं द्वारा फूल भेंट करके किया गया. यह कार्यक्रम हिंदी विभाग के प्रभारी डॉ॰ विक्रम सिंह के सान्निध्य में आयोजित किया गया. डॉ॰ बिक्रम सिंह ने कविता एवं कविता पाठ पर अपने विचार रखते हुए कहा कि कविता अभी भी मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है एवं गहन विचारों की वाहिका भी. कार्यक्रम के अंत में हंस पत्रिका के सहयोगी संपादक और देशबन्धु महाविद्यालय के असिटेंट प्रोफेसर डॉ॰ विभास वर्मा द्वारा उपस्थित अतिथियों एवं छात्र-छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापित किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ॰ नीरज कुमार मिश्र और संयोजन डॉ॰ अभय कुमार के द्वारा किया गया. आयोजित कार्यक्रम में महाविद्यालय के अनेक विभागों के प्रोफेसर, विद्वजनों जिनमें डॉ॰ एस. एम. झा, डॉ॰ बजरंग बिहारी तिवारी, डॉ॰ छोटूराम मीना, डॉ॰ ललित मोहन, डॉ॰ अनुज कुमार रावत, डॉ॰ प्रेमप्रकाश शर्मा, डॉ॰ नविता चौधरी, डॉ॰ नीलम बोरवांकर ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. इस कार्यक्रम की सफलता यह रही कि इसमें बहुत बड़ी संख्या में विद्यार्थी और शोधार्थी सम्मिलित हुए.