पटनादूसरा शनिवार’ के आयोजन में इस बार सामूहिक कविता-पाठ हुआ। सबसे पहले नरेन्द्र कुमार को पाठ के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने अपनी दो कविताएं नीलामीघरएवं लुकाछिपीसुनाई।

ऐसा नहीं है कि

इन चेहरों की जरूरत

शहर को नहीं है

पर, वह अपने सपनों की ईंट

थोड़ी और सस्ती जोड़ना चाहता है

और ये चेहरे..!

अपने भूख की कीमत पूरी चाहते हैं” (नीलामीघर)


अगले आमंत्रित कवि थे, अरुण शीतांश। उन्होंने कैमरामैनऔर हवाई अड्डाशीर्षक वाली कविताएं सुनायी।

न वैसा विचार

न वैसा घर

न वैसा क्रोध

एक फोटो देखकर सोच रहा हूँ

मुक्तिबोध ….!” (कैमरामैन)


उनके पश्चात शिवनारायण, शहंशाह आलम, डॉ. बी. एन. विश्वकर्मा, राजकिशोर राजन, एम. के. मधु, रानी श्रीवास्तव, अमित एवं संचालन कर रहे कवि प्रत्यूष चन्द्र मिश्रा ने अपनी कविताएं सुनायीं। डॉ. बी. एन. विश्वकर्मा ने तुम, हो एकएवं मनुष्यता का लोपशीर्षक से कविताएं पढ़ी। शायर अविनाश अमन द्वारा ग़ज़लों का पाठ किया गया।


घर जिसे चूहों दीमकों ने बनाया

चींटियों मधुमक्खियों ने बनाया

साँपों ने भी बनाया बहुविध बहुरंगा” 

शहंशाह आलम

 

सत्तर पार के जनतंत्र में

कैसे होंगे फिर 

आम आदमी के सपने साकार!

क्या यही है सुशासन की सरकार?” 

शिवनारायण

 

आखिर में चिड़िया, नदी, पोखर

सभी ने कहा

करते रहो कागज़ पर लफ़्फ़ाजी

इससे हमारी दुनिया में क्या फर्क पड़ता है

राजकिशोर राजन 


उफनती हुई नदी है

अमावस की रात

हर कोई हो

महुआ घटवारिन

कोई जरूरी तो नहीं” 

रानी श्रीवास्तव

 

वक्त ने इतनी चालाकियां हम सब को बक्शी थी 

कि सब मगन थे अपने रोजमर्रे में और दूर सफलता की कुण्डी 

बारी-बारी से खटखटाते गरियाने लगते सरकार को

नये ज़माने ने हमें दोस्तों की इतनी इनायत बक्शी

कि पुराने दोस्त अब वक्त के तहखाने में पड़े मिलते हैं.

प्रत्यूष चन्द्र मिश्रा 


उसके पश्चात बारी थी डॉ. विनय कुमार की जिन्होंने यक्षिणीश्रृंखला की अपनी कविताएं सुनाईं। कविताओं की यह श्रृंखला शीघ्र पुस्तक रूप में पाठकों के समक्ष आनेवाली है।

घोड़े वहाँ दौड़ते हैं

धूल यहाँ उड़ती है 

युद्ध वहाँ होते हैं 

रक्त के छींटे यहाँ पड़ते हैं

अग्नि वहाँ भड़कती है 

लपटें यहाँ उठती हैं 

आँधियाँ वहाँ चलती है

भोजपत्र यहाँ फड़फड़ाते हैं 

बारिश वहाँ होती है 

आत्मा यहाँ भींगती है 

इसके पश्चात गोष्ठी के अध्यक्ष प्रभात सरसिज द्वारा कविताएं पढ़ी गयी। पढ़ी गयी कविताओं पर बात करते हुए अवधेश प्रीत ने कहा  " आज के कवियों के पास प्रतिरोध एवं प्रतिपक्ष की कविताएं हैं। आज की गोष्ठी सार्थक रही और डॉ. विनय कुमार द्वारा यक्षिणी श्रृंखला से पढ़ी गयी कविताएं इसकी महत्वपूर्ण उपलब्धि रही।

गोष्ठी में अवधेश प्रीत, डॉ. विनय कुमार, मंजु कुमारी, रानी श्रीवास्तव, शिवनारायण, प्रभात सरसिज, राजकिशोर राजन, शहंशाह आलम, प्रत्यूष चन्द्र मिश्रा, एम. के. मधु, बी. एन. विश्वकर्मा, कौशलेंद्र कुमार, श्याम किशोर प्रसाद, सुशील कुमार भारद्वाज, नरेन्द्र कुमार, अविनाश अमन, अमित एवं आरा से आए अरुण शीतांश सम्मिलित हुए। 

गोष्ठी का संचालन प्रत्यूष चन्द्र मिश्रा कर रहे थे।