भोपाल: दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय द्वारा इस वर्ष के राष्ट्रीय 'दुष्यंत कुमार अलंकरण' से देश के जानेमाने कथाकार नरेंद्र कोहली को अलंकृत किया जाएगा. इसके साथ ही रायपुर के गिरीश पंकज को 'सुदीर्घ साधना सम्मान' और भोपाल के डॉ गंगाप्रसाद गुप्त बरसैया को 'आंचलिक भाषा सम्मान' से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है. दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के निदेशक राजुरकर राज ने जानकारी देते हुए बताया कि यह घोषणा संग्रहालय के अध्यक्ष अशोक निर्मल ने संग्रहालय के संरक्षक रामराव वामनकर और मनोज सिंह मीक, संग्रहालय की कार्यकारी अध्यक्ष ममता तिवारी व अन्य पदाधिकारियों की उपस्थिति में की. उन्होंने बताया कि संग्रहालय के दिवंगत पदाधिकारियों की स्मृति में प्रतिवर्ष दिए जाने वाले 'स्मृति अलंकरण' भी प्रदान किए जाएंगे. 

'स्मृति सम्मान' इस साल ग्यारह मनीषियों को दिया जाएगा, जिनमें पंकज सुबीर (सीहोर) को कमलेश्वर सम्मान, चौधरी मदन मोहन समर को बालकवि बैरागी सम्मान, डॉ राकेश भार्गव को विट्ठल भाई पटेल सम्मान, ब्रजेश राजपूत (एबीपी न्यूज़) को राजेंद्र जोशी सम्मान, डॉ प्रज्ञा रावत को डॉ सुषमा तिवारी सम्मान, मुस्कान संस्था के अभिषेक दुबे को ब्रजभूषण शर्मा सम्मान, मुंबई के डॉ जवाहर कर्नावट को अखिलेश जैन सम्मान, सुमीत द्विवेदी को डॉ बाबुराव गुजरे सम्मान, प्रवासी संसार (दिल्ली) के संपादक राकेश पाण्डेय को डॉ विजय शिरढोणकर सम्मान एवं सुनीता सिंह को अंशलाल पंद्रे सम्मान प्रदान किए जाएंगे. सम्मान समारोह संग्रहालय के तीन दिवसीय स्थापना दिवस समारोह 'प्रणाम 2018' में प्रदान किए जाएंगे, जो 28 से 30 दिसंबर तक भोपाल होगा. 

गौरतलब है कि दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय हिंदी साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखता है. इस संग्रहालय में डॉ. हरिवंश राय बच्चन, क्षेमचन्द्र सुमन, भवानी प्रसाद मिश्र, रामधारी सिंह दिनकर, रामकुमार वर्मा, डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन, जगदीश गुप्त आदि के सौ से अधिक हस्तलिखित पत्र ही नहीं, काका हाथरसी का टाइपराइटर, शिवमंगल सुमन की कलम, माखनलाल चतुर्वेदी की दरी, नरेश मेहता की छड़ी, दुष्यंत कुमार की वह जैकेट, जिसे पहनकर उन्होंने अपने जीवन के आखिरी कविसम्मेलन में रचना पाठ किया था, उनके लोकप्रिय गजल संग्रह 'साए में धूप' की पूरी पांडुलिपि, उनके हाथ से लिखी उनकी आवासीय नेम प्लेट, उनकी ऑरिजनल बैंक पासबुक, घड़ी आदि भी यहां संग्रहित हैं.