नई दिल्लीः भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने 'भारतीय सांकेतिक भाषा' की दिशा में खासी प्रगति की है. यही वजह है कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने बीते साल की उपलब्धियों में इस दिशा में किए गए कामों का उल्लेख विस्तार से किया है. अपने इन प्रयासों से लोगों को अवगत कराने के लिए मंत्रालय ने गणतंत्र दिवस परेड में 'भारतीय सांकेतिक भाषा- एक राष्ट्र, एक सांकेतिक भाषा' विषय की झांकी का उल्लेख किया है और कहा है कि इसने एक देश में भारतीय सांकेतिक भाषा की एकीकृत प्रकृति पर प्रकाश डाला था, जहां बोली जाने वाली भाषाओं में काफी विविधता है. इस झांकी का उद्देश्य भारतीय सांकेतिक भाषा को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना और आईएसएल को बढ़ावा देकर श्रवण बाधित व्यक्तियों यानी बधिरों के लिए बाधा मुक्त वातावरण बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करना था.

सांकेतिक भाषा एक दृश्य भाषा है जो सुनने में अक्षम लोगों के लिए संचार के साधन के रूप में हाथों, चेहरे और शरीर की गतिविधियों का उपयोग करती है. यह एक अनूठी और एकीकृत भाषा है, जो देश में सभी सुनने में अक्षम लोगों को एक-दूसरे से जोड़ती है. देश में बोली जाने वाली कई भाषाएं हैं, लेकिन भारतीय सांकेतिक भाषा एक ही है. श्रवण बाधित लोगों की पहुंच बढ़ाने की दृष्टि से, भारतीय सांकेतिक भाषा के विकास और उसे आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने वाले एक संस्थान को स्थापित करने की आवश्यकता महसूस की गई. भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र 'आईएसएलआरटीसी' ने 23 सितम्बर को सांकेतिक भाषा दिवस भी मनाया था और इस अवसर पर आईएसएलआरटीसी ने एनसीईआरटी की कक्षा 1 से 5 तक की पाठ्यपुस्तकों का आईएसएल ई-कंटेंट जारी किया. इस सांकेतिक भाषा कार्यक्रम का विकास आईएसएलआरटीसी ने अपनी एक परियोजना के तहत किया है, जिसमें एनसीईआरटी की कक्षा 1 से 5 तक की 20 पाठ्यपुस्तकों के कुल 310 अध्यायों को 490 आईएसएल वीडियो और ऑडियो, तस्वीरों और कैप्शन के रूप में प्रस्तुत किया गया.