नई दिल्लीः हमारे दौर के चर्चित कवि नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती के निधन पर साहित्य और सियासी जगत में दिल्ली से कोलकाता तक गहरा दुख है और लोग सोशल मीडिया पर और शोक सभाएं कर अपने दुख का इजहार कर रहे हैं. साहित्य अकादमी ने दिल्ली में शोक सभा का आयोजन किया। किसी भी लेखक की साहित्यिक महत्ता उसके लेखन की आलोचकीय एवं पाठकीय स्वीकृति से जानी जा सकती है तथा नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती के लेखन को यह व्यापक स्वीकृति प्राप्त है. उनकी स्वयं सिद्ध श्रेष्ठता किसी भी कसौटी से परे हैं.उन्होंने लाखों व्यक्तियों के हृदय को स्पर्श किया तथा दमित एवं उत्पीड़ित लोगों की भावनाओं को अपनी अमर एवं प्रेरक कविता में स्वर दिया. अपने शब्दों के माध्यम से उन्होंने लोगों को सांसारिक और नीरस जीवन से ऊपर उठकर सोचने के लिए सक्षम बनाया. याद रहे कि साहित्य के क्षेत्र में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को देखते हुए साहित्य अकादमी ने 2016 में नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती को अपने सर्वोच्च सम्मान, महत्तर सदस्यता से सम्मानित किया था. उनकी उलंग राजा, पितृ पुरुष, नील निर्जन, अंधकार बरांडा, श्रेष्ठ कविता जैसी कृतियां अमर रहेगीं.
साहित्य अकादमी ने बयान जारी कर कहा कि अकादमी सम्पूर्ण भारतीय साहित्य में अपरिमित योगदान करने वाले बंगाल के इस सहज प्रतिभाशाली लेखक को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है. पश्चिम बंगाल बांग्ला अकादमी के अध्यक्ष रहे चक्रवर्ती को आनंद पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. याद रहे कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती के निधन पर गहरा शोक जताया था और अपने एक ट्वीट में कहा कि नीरेंद्रनाथ का जाना हम सबके लिए एक बड़ी क्षति है. बांग्ला साहित्य में अपने योगदान के जरिए वे हमेशा हमारे बीच रहेंगे. पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने भी दिग्गज कवि नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती को श्रद्धांजलि दी. बाङ्ला कवि सुबोध सरकार ने चक्रवर्ती के निधन को एक 'बड़ी व्यक्तिगत क्षति' करार दिया, तो जाने-माने लेखक शिरशेंदु मुखोपाध्याय ने याद किया कि कैसे नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने बच्चों की एक पत्रिका के संपादक के तौर पर उन्हें गल्प लिखने के लिए प्रेरित किया. मुखोपाध्याय ने उनके निधन से 'शून्य पैदा' होने की बात कही है. उनके निधन पर लेखक नवनीता देव सेन और कवि शंखा घोष ने भी शोक व्यक्त किया. इसके अलावा कोलकाता और दिल्ली महानगर के कई जाने-माने कवियों व साहित्यकारों ने भी चक्रवर्ती के निधन पर गहरा दुख जताया. लोग सोशल मीडिया पर उनकी बाङ्ला और हिंदी में अनूदित कविताएं शेयर कर अपना शोक जता रहे हैं.