पटना,  राष्ट्र्कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की जयंती पर, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में एक समारोह आयोजित किया गया।   समारोह का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा " दिनकर की रचनाओं में कविता की शक्ति हीं नहीं, ज्ञान और विज्ञान भी मिलता है। दिनकर अपनी रचनाओं में दिव्य प्रकाश लेकर आते हैं।

हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ ने कहा "  'दिनकर' ओज के, किंतु मानवतावादी राष्ट्र-कवि थे। वे सही अर्थों में अपने समय के 'सूर्य' थे। "इस अवसर पर दिनकर जी के पौत्र अरविंद कुमार सिंह, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, बच्चा ठाकुर तथा डा विनय विष्णुपुरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। 

 दिनकर जयंती के अवसर पर आयोजित कवि-गोष्ठी का आरंभ कवि राज कुमार प्रेमी ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि-शायर घनश्याम ने कहा कि, “ये बात सही है कि सताए हुए हैं हम/ अपना वजूद फिर भी बचाए हुए हैं हम/ आईना दिखाने से कोई फ़ायदा नहीं/ चेहरे को मुखौटों में छुपाए हुए हैं हम"

 डा शंकर प्रसाद ने कहा कि, “लम्बे सफ़र में ग़म भी बहुत थे मेरे सनम/ तनहाइयों की धूप थी मैं दर-ब-दर हीं था " 

ओम् प्रकाश पाण्डेय 'प्रकाश' ने नेताओं पर व्यंग्य वाण छोड़े कि, “बोलो धरती बोलो आसमान/ माता तड़पती क्यों, बोलो भारत भगवान/ नेताओं का कब नाश होगा? या कि मेरे मुल्क का अभी और सत्यानाश होगा?" 

कवयित्री आराधना प्रसाद ने कहा कि, “तुम्हारी याद के जुगनू अजीब हैं जुगनू/ हमारी पलकों पे आकर टहलते हैं" 

डा पुष्पा जमुआर ने जीवन को इस नज़रिए से देखा कि, “नैन खुला तो दुनिया देखी/ टन बड़ा तो पनपा अहंकार/ आई बुढ़ापा जर्जर काय, लगा न हाथ संसार/ फिर क्यों प्राणी लड़ता मरता/ कर लो सबसे प्यार" 

 कवि डा मेहता नगेंद्र सिंह, कालिन्दी त्रिवेदी, डा सीमा यादव, अमियनाथ चटर्जी, कुमारी स्मृति, पूनम सिन्हा श्रेयसी, डा सुलक्ष्मी कुमारी, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, पूनम आनंद, सागरिका राय, उदय शंकर शर्मा 'कवि जी', प्रवीण कुमार मिश्र 'कवि जी', मधु रानी, कमलेन्द्र झा 'कमल', इंद्र मोहन मिश्र 'महफ़िल', कृष्णा सिंह, मनोरमा तिवारी, सच्चिदानंद सिन्हा, पं गणेश झा, डा आर प्रवेश, शुभ चंद्र सिन्हाजय प्रकाश पुजारी, डा शालिनी सुधा सिन्हा, प्राची झा, प्रभात धवन, पंकज प्रियम, रमेश मिश्र, ललन प्रसाद नलिन, अश्विनी कुमार, अनिल कुमार सिन्हा, शंकर शरण आर्य, अजय कुमार सिंह, अनिल कुमार सिन्हा, अतुल्य वैभव, अरुण कुमार सिंह, डा नीतू तथा रवींद्र कुमार सिंह आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर डा अशोक प्रियदर्शी, प्रो सुशील झा, डा जनार्दन पाटिल, संजीव कर्ण, ओम् प्रकाश वर्मा, देवेंद्र लाल तथा देवेश वर्मा समेत बड़ी संख्या में सुधीजन उपस्थित थे।

 मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन डा नागेश्वर प्रसाद यादव ने किया।