दमोह, 18 जुलाई, हिन्दू पौराणिक कथाओं के राजा नल की पत्नी दमयंती के नाम पर बसा मध्य प्रदेश के सागर संभाग के बुंदेलखंड अंचल का शहरदमोहवर्तमान में अपनी सांस्कृतिक गतिविधियों को लेकर खासा चर्चित हो चुका है. मुगल सम्राट अकबर के साम्राज्य में दमोह मालवा सूबे का हिस्सा था. कहते हैं, दमोह के अधिकतर प्राचीन मंदिरों को मुग़लों ने नष्ट कर दिया तथा इनकी सामग्री एक क़िले के निर्माण में प्रयुक्त की गई. फिर भी इस नगर में शिव, पार्वती एवं विष्णु की मूर्तियों सहित कई प्राचीन प्रतिमाएं इसकी गौरवशाली विरासत की गवाही देती हैं. दमोह में दो पुरानी मस्जिदें, कई घाट और जलाशय भी हैं.14 वीं सदी में मुसलमानों के प्रभाव से दमोह महत्त्व बढ़ा और फिर यह मराठा प्रशासकों का केन्द्र भी रहा. इसी ऐतिहासिक नगर दमोह में रंगकर्मियों की संस्था युवा नाट्य मंच हर साल राष्ट्रीय स्तर का नाट्य समारोह करा रही है, जिसमें देश भर के लेखकों, रचनाकारों की रचनाओं का मंचन शामिल है. इस साल भी यह संस्था 21 से 23 जुलाई तक दमोह में 17वां राष्ट्रीय नाट्य समारोह आयोजित कर रही है.

 

दमोह के स्थानीय मानस भवन में आयोजित इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह में पहले दिन रामसेवक किसान लोककला समिति मेहलबारा द्वारा विश्वनाथ पटेल द्वारा निर्देशित नाटकत्राहि त्राहि पुकारे नाथका मंचन होगा. दूसरे दिन नव नृत्य नाट्य संस्था भोपाल द्वारा प्रेम जनमेजय द्वारा लिखित और तरुण दत्त पांडेय निर्देशित नाटकबेशर्ममेव जयतेका मंचन होगा. तीसरे दिन नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच दमोह राजीव अयाची द्वारा लिखित और निर्देशित नाटकरणबांकुरे राजा किशोर सिंहका मंचन करेगी. यह समारोह में मध्यप्रदेश संस्कृति संचालनालय भोपाल के सहयोग से हो रहा है.

 

इस बाबत दिल्ली में मौजूद लेखक, व्यंग्यकार, नाटककार प्रेम जनमेजय का कहना है कि दमोह के युवा नाट्य मंच की गतिविधियां सराहनीय हैं. इसमें तरुण पांडेय जैसे सक्रिय रंगकर्मी, निर्देशक का जुड़ना इसके महत्त्व को रेखांकित करने के लिए काफी है. तरुण पांडेय पहले भी मेरे व्यंग्य नाटकों-सोते रहोएवंमुकदमाका निर्देशन तथा मंचन कर चुके हैं. हैदराबाद, दिल्ली और भोपाल के भारत भवन में भी इन नाटकों का मंचन हो चुका है. समाज, राजनीति और शिक्षा के क्षेत्र में आई विसंगतियां मेरे नाटकों की मूल विषय-वस्तु हैं, जिसमें आज के माहौल पर करारा कटाक्ष है कि सरलता, सहजता और सच्चाई की राह पर चल कर सफलता पाना अब सहज नहीं, अगर सफल होना है तो चालाकी बरतनी होगी.