नई दिल्लीः चाहे भाजपा हो या कांग्रेस सीधे तौर पर भले न सही, पर दोनों ही दलों को साहित्यकारों, लेखकों और बौद्धिकों की जरूरत पड़ती ही है. प्रसून जोशी से लेकर जावेद अख्तर तक और इनसे भी बहुत पहले 'क्या आप चाहते हैं कि देश की सीमाएं सिमटकर आपके दरवाजे तक आ जाएं' और 'जात पर न पात पर, इंदिराजी की बात पर' लिखकर श्रीकांत वर्मा ने सियासी गलियारे में लेखकों के लिए दरवाजा खोल दिया था. खबर है कि 'मोदी है तो मुमकिन है', 'फिर एक बार मोदी सरकार', 'सबका साथ सबका विकास', 'घर में घुसकर मारेंगे' और 'चुन-चुन के हिसाब लेना मेरी फितरत है' जैसे भाजपा के नारों के पीछे प्रसून जोशी का ही दिमाग है, जिन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 'सौगंध मुझे इसे मिट्टी, मैं देश नहीं झुकने दूंगा' लिखा था. जोशी इस बार भी एयरस्ट्राइक, राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर दे रहे हैं. 

भाजपा की देखादेखी कांग्रेस ने भी इस काम के लिए आधिकारिक रूप से लेखक एवं गीतकार जावेद अख्तर को जिम्मेदारी दी है. कहा जा रहा है कि उन्होंने ही कांग्रेस का चुनावी नारा 'अब होगा न्याय' और कांग्रेस के चुनावी अभियान का मुख्य गीत 'मैं ही तो हिन्दूस्तानी हूं' लिखा है. कांग्रेसी प्रचार में उनके लिखे गीत की पंक्तियां हैं, 'ठान लिया है सारे हिंदुस्तान ने, आयी है सुनहरी घड़ी 'न्याय' की. हर धोखे, जुमले का होगा हिसाब, घड़ियां खत्म हुई अब 'अन्याय' की. कांग्रेस बनेगी हर जन की आवाज, दूर करेगी पीड़ा हर 'असहाय' की.' कांग्रेस और भाजपा पहले भी लेखकों से ऐसे नारे लिखवाती रही हैं. जिनमें 'अमेठी का डंका, बिटिया प्रियंका', 'अबकी बारी, अटल बिहारी' और 'अटल आडवाणी कमल निशान-मांग रहा है हिंदुस्तान' जैसे नारे शामिल हैं. अगले चुनाव में 'कहो दिल से, अटल फिर से' और 'भारत उदय' भी काफी लोकप्रिय हुआ हालांकि इसका असर नहीं देखा जा सका. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार के चुनाव में फिल्म जगत के दो दिग्गज गीतकारों प्रसून जोशी और जावेद अख्तर के लिखे में किससे प्रभावित हो जनता वोट करती है.

– सुजाता शिवेन