कोलकाताः भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन ने युवा साहित्यकारों और शोधार्थियों के लिए एक भव्य आयोजन 'साहित्य संवाद' के तहत किया. इस कार्यक्रम कई गंभीर सा्हित्यिक विषयों पर चर्चा के साथ ही आलेखपाठ, काव्यपाठ व पुस्तक लोकार्पण भी हुआ. कार्यक्रम के आरंभ में शुभारंभ प्रक्रिया और स्वागत वक्तव्य के बाद शोध छात्र इबरार खान ने 'समकालीन हिंदी और उर्दू नाटकों का तुलनात्मक अध्ययन' और मधु सिंह ने 'हिंदी कथा साहित्य का फिल्मांकन' विषय पर लिखा अपना सारगर्भित आलेख पढ़ा. इसके बाद द्वितीय सत्र में नीलम कुमारी, सुरेश शॉ, कुमार विश्वबंधु, निर्मला तोदी, प्रियंकर पालीवाल और राज्य बर्धन ने अपनी  शानदार कविताओं का पाठ कर श्रोताओं का मन मोह लिया.
इस अवसर पर कहानीकार सुरेश शॉ के कहानी संग्रह 'बदलते चैनल और कहानियाँ' का भी लोकार्पण हुआ. सुरेश की ये कहानियां  समकालीन विषयों पर उनकी पकड़ व कथ्य शैली को बेहतर ढंग से उजागर करती हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भारतीय भाषा परिषद के निदेशक, हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक और कलकत्ता विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि तर्क, कल्पना और संवेदना अब सिर्फ साहित्य में बची हुई है. आज का समय ऐसा है कि झूठ सच का मुखौट पहनकर सम्मानित हो रहा है. कार्यक्रम का सफल संचालन संजय जायसवाल ने किया. याद रहे कि भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन 'साहित्य संवाद' नामक अपने इस मंच से युवा रचनात्मकता को प्रेरणा देकर उन्हें अच्छा रचने और संवाद के लिए प्रेरित करता है.