मुजफ्फरपुरः जिले के नामी साहित्यकार और अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय मंत्री डॉ संजय पंकज को इस वर्ष की रामानुज त्रिपाठी नवगीत साहित्य सम्मान प्रदान किए जाने की घोषणा की गई है. पंकज को यह सम्मान उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर स्थित रामानुज त्रिपाठी सृजन संस्थान की ओर से दिया जाएगा. संस्थान के अध्यक्ष डॉ अवनीश त्रिपाठी ने बताया कि कोरोना संकट के टलने के बाद एक भव्य समारोह में डॉ संजय पंकज को इस सम्मान से नवाजा जाएगा. याद रहे की डॉ पंकज मूलतः कवि हैं. उनकी कई पस्तकें काफी चर्चित रही हैं, जिनमें 'यवनिका उठने तक', 'मां है शब्दातीत', 'मंजर मंजर आग लगी है', 'यहां तो सब बंजारे', 'सोच सकते हो', 'शब्द नहीं मां चेतना', 'समय बोलता है', 'शब्दों के फूल खिले' शामिल है. पंकज फिलहाल आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री की ओर से संस्थापित-संपादित पत्रिका 'बेला' के संपादक हैं. वह रेल मंत्रालय के हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे हैं.

अभी पिछले साल ही पंकज को महाकवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती के अवसर पर 'पंत साहित्य साधक सम्मान' से सम्मानित किया गया था. डॉ संजय पंकज को इस सम्मान की घोषणा पर डॉ महेंद्र मधुकर, डॉ इन्दु सिन्हा, डॉ देवव्रत अकेला, डॉ शारदाचरण, डॉ पूनम सिन्हा, डॉ विकास नारायण उपाध्याय, डॉ रामेश्वर द्विवेदी, डॉ वंदना विजय लक्ष्मी, डॉ वीरेंद्र किशोर, डॉ एनकेपी सिंह, डॉ एचएल गुप्ता, कुमार राहुल, प्रणव चौधरी, राकेश सिंह, चैतन्य चेतन, अनुराग आनंद, अविनाश तिरंगा, मुकेश त्रिपाठी, डॉ अनु, ब्रजभूषण मिश्र, अभिषेक अंजुम, ललन कुमार, वंदिनी, सतीश कुमार, ब्रजभूषण शर्मा, डॉ अरविंद कुमार, डॉ संजय संजू, नदीम खान, संजीत किशोर, प्रेमरंजन, गोपाल फलक, डॉ राकेश मिश्रा, प्रमोद आजाद, सोनू पांडेय, श्रीनारायण, मनोज झा, प्रवीण कुमार मिश्र, संतोष पाठक, कुंदन कुमार, धीरेन्द्र जायसवाल आदि ने बधाई दी है.