नई दिल्ली: इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में कवि एवं साहित्यकार डॉ विवेक गौतम की नवीनतम काव्य-कृति 'खरीदी हुई नींद' पर केंद्रित एक विमर्श आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता प्रतिष्ठित लेखिका चित्रा मुद्गल ने की. मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि डॉ. गंगा प्रसाद विमल व विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार शैलेंद्र शैल और शिक्षाविद, लेखक अशोक पांडेय उपस्थित रहे. चित्रा मुद्गल ने कहा कि विवेक की कविताएं हमें वरिष्ठ कवि कुँअर नारायण की परंपरा की याद दिलाती हैं. इन कविताओं में गहरे चिंतन और अनुभव की अभिव्यक्ति है. यह समाज को और आने वाले वर्षों में कविता को सार्थक दिशा देंगी. प्रो. गंगा प्रसाद विमल ने कहा कि विवेक की कविताएं 'संपन्नता' और 'लोकतंत्र से तंत्रलोक तक' प्रभावशाली और अनूठी हैं. कवि का काव्य फलक बहुत विस्तृत है और इस संग्रह की अनेक कविताएं मन को छूने वाली और चिंतन को विवश करने वाली हैं.
विशिष्ट अतिथि शैलेंन्द्र शैल ने संग्रह की कविताओं के अंश को उद्धृत करते हुए कविताओं की गहन विवेचना प्रस्तुत की. दूसरे विशिष्ट अतिथि अशोक पांडेय ने लेखक के सामाजिक और मानसिक चेतना के पक्षों को विस्तार से न केवल छुआ, अपितु कविताओं की परत को खोलते हुए एक व्यापक और सारगर्भित टिप्पणी की. इस अवसर पर 'खरीदी हुई नींद' से कुछ चुनिंदा कविताओं का पाठ कवि डॉ. विवेक गौतम, राकेश पांडेय, डॉ.हरीश अरोड़ा, प्रदीप जैन, सुभाष ज़खमोला और श्रद्धा पांडेय ने किया. संचालन समाचार वाचिका विभा बिष्ट ने किया. धन्यवाद सजग प्रकाशन के चेयरमैन शिव सचदेवा ने किया. उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में अनुरूप शर्मा, सतपाल, डॉ. सत्या भार्गव, पं. मारुति भार्गव, राजेंद्र गोयल, मुकेश चौहान, विनोद ढौंडियाल, राजन पाराशर, सीमा गुप्ता, अनिल गुप्ता, अनंत प्रचेता, एनके झँवर, राजू बोहरा, अमोल प्रचेता, गगन भारद्वाज, पवन भारद्वाज, नरेश चंद्र शर्मा, एसके शर्माऔर सरदार गुरदेव सिंह आदि प्रमुख थे.