मुरादाबाद: वरिष्ठ रंगकर्मी, शिक्षिका एवं रचनाकार डॉ. इंदिरा गुप्ता नहीं रहीं. उनके आकस्मिक निधन पर साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' ने एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया. सुप्रसिद्ध नवगीतकार डॉ माहेश्वर तिवारी के नवीन नगर स्थित आवास 'हरसिंगार' पर आयोजित इस शोकसभा में कई साहित्यकार जुटे और सबने डॉ. इंदिरा गुप्ता के रचनाकर्म और कार्यों का स्मरण करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने डॉ. इंदिरा गुप्ता के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की. डॉ. माहेश्वर तिवारी ने कहा कि 'डॉ. इंदिरा गुप्ता का निधन निश्चित रूप से मुरादाबाद के रंगमंच और साहित्य की बहुत बड़ी क्षति है. वह आकाशवाणी लखनऊ और रामपुर केंद्र की एक महत्त्वपूर्ण तथा चर्चित नाटक कलाकार थी. उनकी संस्था 'मंजरी' की ओर से नाटक 'दिल की दुकान', 'माधवी', विष्णु प्रभाकर कृत 'युगे-युगे क्रांति' की प्रस्तुति काफी चर्चित रही.'
साहित्यकार डा मनोज रस्तोगी ने डॉ. इंदिरा गुप्ता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके साहित्यिक अवदान का व्यापक उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि 'झांसी में 23 अप्रैल, 1939 को जन्मीं डॉ. इंदिरा गुप्ता बचपन से ही लेखन से जुड़ी रहीं. उनकी एक काव्य कृति भी 'अंतर्ध्वनि' के नाम से प्रकाशित हुई थी, जिसकी चहुंओर सराहना हुई.  पर डॉ. इंदिरा गुप्ता ने अपने जीवन को साहित्य के फलक से उठाकर सृजन से जोड़ दिया और समाजसेवा के अतिरिक्त संगीत, रंगमंच आदि के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान करती रहीं. उन्होंने 1984 में नाट्य संस्था 'मंजरी' की स्थापना की, जिसके माध्यम से अनेक नाटकों का सफल मंचन हुआ.' श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित साहित्यकारों ने 2 मिनट का मौन रखकर डॉ. इंदिरा गुप्ता को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस श्रद्धांजलि सभा में अशोक विश्नोई, योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', राजीव 'प्रखर', विशाखा तिवारी, हेमा तिवारी भट्ट, मोनिका शर्मा 'मासूम', डॉ. नीरू कपूर, आनंद वर्धन शर्मा, भाषा तिवारी आदि उपस्थित रहे.