डरबनः राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के डेढ़ सौवें जयंती वर्ष को पूरी दुनिया मना रही है. इस अवसर पर गांधीजी द्वारा दक्षिण अफ्रीका के डरबन स्थित फिनिक्स आश्रम के सभागार में महात्मा के ऊपर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन गांधी डेवलपमेंट ट्रस्ट की ओर से किया गया. यह वही स्थान है जहां महात्मा ने इस आश्रम को स्थापित करने के साथ ही इंडियन ओपिनियन निकाला था. बापू ने जब इस आश्रम की स्थापना की थी तो इसका आकार लगभग 100 एकड़ था, जो आज लगभग एक एकड़ में सिमट गया है. यहां कस्तूरबा गांधी ने बच्चों को पढ़ाने के लिए एक स्कूल शुरू किया था, जो आज भी कायम है. गांधी के पुत्र मणिलाल और उनकी पत्नी सुशीला गांधी उनके भारत लौट जाने के बाद यही रहे थे. जाहिर है ऐसे ऐतिहासिक स्थल पर हर ओर महात्मा के विचारों की उपस्थिति थी.
प्रवासी संसार पत्रिका के प्रधान संपादक और महात्मा पर कई किताबें लिखने वाले राकेश पांडेय ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की. उनके मुताबिक यहां पर विश्व के तमाम कोनों से आए विद्वानों का जमघट लगा. जिसमें सोमालिया और घाना देश के विद्वानों की उपस्थिति बेहद उल्लेखनीय है. इन अफ्रीकी देशों में आज भी अशांति बनी हुई है, और वह गांधी मार्ग पर चलकर शांति स्थापित करने की बात कर रहे हैं. भारत से भी अनेक विद्वान वहां पधारें थे. विशेष रूप से सेवा आश्रम वर्धा, गुजरात, ओड़िशा व विनोबा भावे के भूदान आंदोलन से जुड़े हुए लोग भी पहुंचे थे. राकेश पांडेय अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद की ओर से सम्मिलित 7 लोगों के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. गांधी जी की पौत्री इला गांधी ने पत्रिका प्रवासी संसार के महात्मा गांधी पर आधारित अंक का विमोचन किया. इस अवसर पर सभी विद्वानों द्वारा वृक्षारोपण भी किया गया.