पटना: युवाओं की वेबसाइट 'इंद्रधनुष डॉट कॉम' की ओर से  कवि राजेश कमल का काव्य पाठ आयोजित  किया गया। गंगा के तट पर आयोजित इस कार्यक्रम में राजेश कमल को सुनने कई  युवा कवि इकट्ठा हुए।  बिल्कुल अनोखे माहौल में गंगा किनारे के घाट की सीढ़ियों पर  श्रोता बैठे रहे और कविताओं का पाठ होता रहा।

राजेश कमल ने अपनी कई चर्चित कविताओं जैसे प्रेमपत्र, अफीम, जन्मदिवस, गणित आदि कविताएं पढ़ी। 

अफ़ीम

झूठ का स्वर  इतना कर्णप्रिय होगा

कभी सोचा न था

सबसे बड़ा संगीतज्ञ  हारमोनियम से नहीं

तोप से ले रहा है अलाप

श्रोता मंत्रमुग्ध

दिमाग का दही कर दिया  भेंचो

बजा रहा है बैंजो

और श्रोता मंत्रमुग्ध

क्या अफ़ीम  खिलाई है मालूम नहीं

इस चलचलाती धूप में भी

नशा फट नहीं रहा

जब होश आएगा

तब इल्म होगा

क्या लुटा  क्या क्या लुटा

इनकी कविताएं भ्रष्ट व्यवस्था पर चोट करने के साथ साथ अपने आस पड़ोस में घटने वाली समय व समाज की सच्चाइयों को बिना शोरगुल किये बयान कर गईं। प्रेम व दोस्ती पर सुनाई गई कविताओं में वे मुहब्बत का पता और ठिकाना बताते रहे।

प्रेमपत्र 

अब भी उतने ही प्रेमी हैं जितने हमारे ज़माने में हुआ करते थे 

अब भी उतनी ही कहानियाँ हैं जितनी हमारे ज़माने में हुआ करती थीं 

हाँ, हमारी कहानियाँ अक्सर अनकही रह जाया करती थीं 

और शायद अनसुनी भी 

फिर भी कुछ दुआएँ तो कुबूल हुईं हमारी भी 

जिन्हें मुहब्बत कहा गया  

और उन कहानियों की कुछ दस्तावेज हैं हमारे पास 

जिन्हें प्रेमपत्र कहा गया  

जो आखरी दम तक रहेगा हमारे साथ 

 

अब जबकि सब कुछ बदल गया है

कलम की जगह की-बोर्ड ने ले ली है

पोस्टमैन की जगह इंटरनेट आ गया है  

मुहब्बत की जगह तो वही है 

लेकिन प्रेमपत्र की जगह तो कुछ भी नहीं आया 

बस बेमानी हो गया प्रेम का यह सूत्रधार  

 

मैंने एक दिन एक नए प्रेमी से पूछा 

कितनी चिट्ठियां हुईं अब तलक 

उसने मुस्कुराते हुए सर हिलाया 

और ठहाके लगाने लगा।

 राजेश कमल की कविताएं नैसर्गिक भी हैं और आदमी के अस्तित्व से जुड़ी हुई भी हैं, यह आपको उद्वेलित भी करती हैं, जगाती भी हैं I

काव्य पाठ के उपरांत कवि से  श्रोताओ ने उनकी कविताओं के साथ साथ अन्य बिंदुओं पर कई सवाल भी किये। इस मौके पर संजय कुमार कुंदन, बालमुकुंद, उपांशुकृष्ण समुद्ध, शशांक मुकुट शेखर, आशुतोष कुमार पांडे, सुशील कुमार, प्रियदर्शी मातृशरण, 7कुंड मयंक, सागर, राघव राजा, और अभिषेक मौजूद थे। इंद्रधनुष के मॉडरेटर प्रभात रंजन प्रणीत, प्रधान संपादक अंचित और अन्य सदस्य सुधाकर रवि, रुचि और सत्यम सोलंकी उपस्थित रहे।

संचालन रुचि विजय ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन उत्कर्ष ने।