नई दिल्ली: हमारा देश दुनिया को व्यापार नहीं परिवार समझता है. इसीलिए भारत हिंदी के जरिए अपने परिवार में प्यार बांटता है. हम नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय भाषाओं को अग्रिम पंक्ति में लाने जा रहे हैं, क्योंकि भारतीय भाषाओं में  अपार संभावनाएं हैं. यह बातें दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज द्वारा विज्ञान भवन दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के समापन सत्र में मुख्य अतिथि केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कही. उन्होंने कहा, जो भाषा हृदय तक पहुंचे, वही सार्थक है, वही हिंदी है. हिंदी दुनिया को एक सूत्र में पिरोने का काम करेगी. कार्यक्रम के अंतिम सत्र में सम्मान सह कवि सम्मेलन आयोजित हुआ. इस सत्र के विशिष्ट अतिथि राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा एवं प्रसिद्ध उद्योगपति एवं हंसराज कॉलेज के पूर्व छात्र नवीन जिंदल थे. इस सत्र की अध्यक्षता कमल किशोर गोयनका ने की. प्रो अवनिश कुमार भी मौजूद थे.

इस अवसर पर सांसद आरके सिन्हा ने कहा कि हिंदी को कुछ बनाने की जरुरत ही नहीं है. वो ऐसे ही विश्व की दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन गयी है, जिसने अंग्रेजी को पछाड़ दिया है. केंद्रीय मंत्री निशंक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कुछ करना है तो नई शिक्षा नीति के तहत पहली कक्षा से पांचवी कक्षा तक अनिवार्य रुप से मातृभाषा में शिक्षा मिले ऐसी व्यवस्था की जाय. कमल किशोर गोयनका ने कहा कि हिंदी को ज्ञान की भाषा बनानी पड़ेगी, तब और ज्यादा समृद्ध होगी. इस अवसर पर रमेश पोखरियाल निशंक को महात्मा हंसराज अंतरराष्ट्रीय हिंदी रत्न सम्मान दिया गया. अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन में आए कवियों में  गजेन्द्र सोलंकी, राजेश चेतन, बाल स्वरुप राही, आलोक श्रीवास्तव, अरुण जेमिनी, कीर्ति काले, अनुप भार्गव, लक्षमी शंकर वाजपेयी, शंभु शिखर, ऋतु गोयल, अलका सिन्हा एवं प्रवीण शुक्ल ने भाग लिया. संचालन राजेश चेतन ने किया.