कुल्लूः कुल्लू के देवसदन में आयोजित व्यंग्य महोत्सव में राजस्थान, महाराष्ट्र, जम्मू व कश्मीर, बिहार, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश से आए तीन दर्जन से अधिक व्यंग्य लेखक शामिल हुए. इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ गंगाराम राजी, डॉ हरीश पाठक, डॉ सूरत ठाकुर ने 'व्यंग्य-यात्रा' पत्रिका के लोकार्पण के साथ डॉ लालित्य ललित के कविता संग्रह 'सितम प्यार के' अलावा उनके द्वारा संकलित 'प्रेम जनमेजय की श्रेष्ठ व्यंग्य कथाएं' व अंबाला से प्रकाशित पुष्पगन्धा के लालित्य ललित पर केंद्रित व्यंग्य अंक के अलावा व्यंग्यकार अनिला चड़क की व्यंग्य कृति 'श्रोताओं के अकाल' का लोकार्पण किया गया. इस मौके पर साहित्य कला परिषद की ओर से अध्यक्ष डॉ सूरत ठाकुर ने हिमाचली टोपी से अतिथियों का स्वागत किया. चेतना इंडिया व दशार्क फाउंडेशन ने व्यंग्यकार डॉ प्रेमजनमेजय का सम्मान किया. आमन्त्रित साहित्यकारों ने दस दर्जन व्यंग्य कृतियाँ डॉ सूरत ठाकुर को कुल्लू के पाठकों के लिए भेंट की. इस अवसर पर डॉ प्रेमजनमेजय ने कहा कि इस तरह के आयोजन से निश्चित ही व्यंग्य की दशा और दिशा को बल मिलता है और हमें अपना लक्ष्य साधने में भी सुविधा होती हैं. व्यंग्य यात्रा ने अपनी यात्रा सूरत ठाकुर जैसे फकीरों से तय की हैं. जैसे आप हिमाचल के लिए संघर्ष कर रहे हैं, हम व्यंग्य के लिए कर रहे हैं.
पत्रकार हरीश पाठक ने कहा व्यंग्य का मूल तत्व है भाषा की विसंगतियां और विडंबना. इसलिए कथ्य को प्राथमिकता दी जाती है. इसके साथ रचना का कैप्शन रोचक हो, जिससे पाठक के मन की उत्सुकता बनी रहती है. मेरी मान्यता है कि रचना का मूल तत्व भाषा की अदायगी है. उन्होंने लालित्य ललित के व्यंग्य की भाषा को भी रेखांकित किया. शिल्प का बेहतर प्रयोग किया जाना चाहिए. मुख्य अतिथि डॉ गंगाराम राजी ने कहा, व्यंग्य यात्रा का जो काम परसाई ने नहीं किया वह काम डॉ प्रेमजनमेजय ने किया. आज के परिदृश्य में जो विसंगतियां है, उसको व्यंग्य के माध्यम से उभारने में व्यंग्य यात्रा ने साहसिक कार्य किया हैं. आज व्यंग्य जीवन के हर क्रिया कलाप में प्रवेश कर चुका है. जीवन का एक अनिवार्य अंग व्यंग्य हैं. हमारा व्यंग्य पाठकों तक पहुंचना चाहिए. मैंने आज तक अपने जीवन में कोई क्लास नहीं छोड़ी, इसका एक कारण है कि आपके जीवन में पुस्तक के प्रति एक ललक होनी चाहिए. हमारी जिम्मेदारी है और हमें प्रयास करना चाहिए कि अपने पाठकों तक पुस्तकें पहुंचाने की व्यवस्था करें. हमें राजमार्ग पर चलने का शौक नहीं, हमें पगडंडियों पर चलने का मन है और आगे बढ़ना है. कार्यक्रम का संचालन डॉ लालित्य ललित ने किया और आभार ज्ञापन रणविजय राव ने किया.