बेंगलुरुः दक्षिण भारत में हिंदी का परचम लहराने वाले साहित्यिक मंच 'साहित्य संगम' की मासिक काव्य-गोष्ठी संस्था के संस्थापक और अध्यक्ष डा सुनील जैन 'तरुण' के सानिध्य में स्थानीय बनशंकरी स्थित बलडोटा मेंशन में आयोजित हुई. इस काव्य-गोष्ठी की अध्यक्षता बेंगलुरु के सुप्रसिद्ध कवि नन्द सारस्वत 'नंद' ने की. बतौर मुख्य अतिथि कवि जीवराज पटेल और विशिष्ट अतिथि के तौर पर साहित्यकार डा श्रीलता सुरेश ने शिरकत की.स्वर सोनिका की सरस्वती वंदना से इस गोष्ठी का आगाज हुआ और गोष्ठी में प्रस्तुत रचनाओं को सुनने के बाद साहित्यप्रेमियों ने एक स्वर में यह माना कि यह गोष्ठी अपने आयाम की ऊंचाइयों तक पंहुचने में सफल रही है. शहर के सुप्रसिद्ध उद्योगपति और कवि हृदय के स्वामी भागीरथ अग्रवाल ने 'बचेगा देश अब कैसे सरकारें बन गई गजनी, खड़ा हर मोड़ पे रावण हरण होता है सजनी' नामक कविता सुनाई. वरिष्ठ कवि गोपाल मुंदड़ा की कविता 'जीवन कोरा कागज है यह संसार छलावा है' सुनाकर साहित्य संगोष्ठी के इस सागर में एक हलचल मचा दी.

डा श्रीलता सुरेश ने माता-पिता और जन्मदाता के प्रति संवेदना से ओत-प्रोत रचना 'जन्मदाता को प्रणाम, जिसने जीवन दिया उसको प्रणाम सुनाकर खूब तालियां बटोरीं. जीवराज पटेल की रचना 'जिसने बख्शा है उसे दर्दे दिल की दवा नहीं मालूम, ढूंढा मंदिरों मस्जिदों में है कहां ख़ुदा नहीं मालूम' को भी खूब सराहा गया. इसके बाद कवि नंद सारस्वत नंद की व्यंग्य, प्रेम, श्रृंगार और देश प्रेम की रचनाओं ने सभा भवन में उपस्थित सभासदों की आह और वाह बटोरी. उन्होंने लय में अपना चर्चित गीत, 'खेत खलिहान संग गाड़ियां चलाने लगी, जंग के मैदान में भी रंग वो जमाने लगी, बेटियों ने भरी है उड़ान आसमान तक, रेल, बस और वायुयान भी उड़ाने लगी' सुनाया तो श्रोता झूम उठे. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नंद सारस्वत ने बताया कि साहित्य संगम मंच पिछले आठ वर्षों से डा सुनील जैन 'तरुण' के अथक प्रयासों से पुराने और वरिष्ठ कवियों के साथ नवांकुरों को प्रोत्साहित करने के लिए कार्य कर रहा है. ज्ञात रहे यह मंच निरंतर काव्य सम्मेलन के साथ साथ साझा संकलनों के प्रकाशन में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है.काव्य गोष्ठी के संचालन में कवि अजय यादव और अली अंजुमन की विशेष भागीदारी रही.