वाराणसी: विश्व जनचेतना ट्रस्ट की ओर से आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में जामताड़ा के प्रसिद्ध कवि राघवेंद्र नारायण सिंह 'राघव' को जनचेतना भागीरथ की उपाधि से से सम्मानित किया गया. राघव इस कवि सम्मेलन में झारखंड का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. उन्होंने अपनी काव्य रचनाओं और अनोखे संवाद से आयोजकों व श्रोताओं का दिल जीत लिया. जामताड़ा के घांटीगढ़ गांव निवासी राघव अपनी रचनाओं में स्थानीय बोली को समावेशित करने के साथ-साथ अपनी व्यंगात्मक रचनाओं से सरकारी सिस्टम और नौकरशाही की पोल खोलने के लिए जाने जाते हैं. वह पहले भी जामताड़ा जिला प्रशासन, शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय व अन्य संस्थाओं द्वारा श्रेष्ठ कवि व साहित्यकार के रूप में सम्मानित किए जा चुके हैं.
राघवेंद्र को एनआरबी फाउंडेशन व भव्या इंटरनेशल मैत्री सम्मेलन द्वारा साक्षरता, शिक्षा, साहित्य व समाज सेवा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए रेड डायमंड एचीवर के अवार्ड से नवाजा जा चुका है. राष्ट्रीय कवि संगम जामताड़ा के जिलाध्यक्ष के रूप में, साहित्यकार परिषद् जामताड़ा के उपाध्यक्ष के रूप में व कानन कुसुम काव्योदय मंच के संस्थापक सदस्य व अध्यक्ष के रूप में उन्होंने साहित्यिक गतिविधियों को अलग आयाम दिया है. राघवेंद्र की हास्य-व्यंग्य से भरी रचनाओं में बेटा बुढ़वा पल्टी मार दिहीस, मैया मोरी मोहे चमचागिरी काहे न सिखायो, हाम तो नाय बांचबो गे धनी करेजबा लागलो चोट, वायु प्रवेशिका…आदि ने खूब चर्चा बटोरी है. पलाश, गुलर के फूल, काव्य मयूरी, विहंगिनी, बारूद की फसलें उनकी प्रकाशित रचनाएं हैं.