जयपुर: जयपुर साहित्योत्सव शुरू हो चुका है. पांच दिन के इस साहित्य उत्सव का मुख्य आयोजन दिग्गी पैलेस में किया गया है, जिसे किसी बारात स्थल की तरह सजाया गया है. आयोजकों का दावा है कि इसमें दुनिया भर के  350 से अधिक लेखक, चिंतक, मानवतावादी, राजनेता, व्यवसाय जगत, खेल और मनोरंजन जगत की हस्तियां विभिन्न विषयों पर अपनी बेबाक राय दे रहे हैं.  आयोजकों की तरफ से जारी बयान के अनुसार, 'हमारी दुनिया तेजी से बदल रही है…इस साल हमने कृत्रिम मेधा, आनुवांशिकी और भविष्य में हमारा ग्रह कैसा होगा, इस विषय पर भी सत्र रखा है. इस साल 'क्लाइमेट फिक्शन यानी जलवायु गल्प' जैसे नये विषय पर चर्चा हो रही है. जैसे यदि मधुमक्खियां गायब हो जाये तो क्या होगा, इस पर आधारित क्ली-फाई (क्लाइमेट फिक्शन) पर बेहद सुंदर सत्र आयोजित है.  साहित्योत्सव में पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को भी उठाया जाएगा, ताकि धरती पर मंडरा रहे जलवायु परिवर्तन के खतरे पर ध्यान आकर्षित किया जा सके. 'क्लाइमेट चेंज: ए कॉल टू एक्शन' नामक सत्र में ऑस्ट्रेलिया की ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के विद्वान डेरिल जोन्स, नॉर्वे की लेखिका माजा लुंडे और भारतीय लेखिका मृदुला रमेश के साथ पर्यावरण के मसले पर चर्चा कर रही हैं. सत्र का संचालन आईएसईटी-इंटरनेशनल के संस्थापक, मार्कस मोएंच को करना है. प्रतिष्ठित पर्यावरणविदों और जलवायु चिंतक अपने अनुभव और ज्ञान से बताएंगे कि बदलते वातावरण के अनुकूल कैसे बना जाए.

साहित्य उत्सव की सह निदेशक नमिता गोखले के मुताबिक, 'मुझे ऐसा लगता है कि इस समय हमारे देश में अनुभवजन्य सोच को प्रोत्साहन देना बेहद जरूरी हो गया है.' इस साहित्य उत्सव में नोबल पुरस्कार से सम्मानित वेंकी रामकृष्णन 'विज्ञान के महत्व' पर बोल रहे हैं, तो खगोल विज्ञानी प्रियंवदा नटराजन और कृत्रिम बुद्धिमता के प्रोफेसर टोबी वाल्श श्रोताओं को 'अंतरिक्ष का मानचित्र' और 'वर्तमान में भविष्य कैसा है' जैसे विषयों पर अपने अनुभव साझा करेंगे. उन्होंने यह भी बताया कि उत्सव के सह निदेशक विलियम डेलरिंपल अपने पिता के निधन के चलते इस साहित्य उत्सव के लिए उपलब्ध नहीं हैं. भारतीय वक्ताओं में लेखक राजनीतिज्ञ शशि थरूर, राजनयिक नवतेज सरना, किश्वर देसाई, इरा मुखोती, अमिताभ बागची, अमिताव कुमार, अनिता नायर, देवदत्त पटनायक, मकरंद परांजपे, नैना लाल किदवई और राणा दासगुप्ता शामिल हैं.