जयपुरः वर्ष 2019 के लिए वाणी फ़ॉउण्डेशन द्वारा दिए जाने वाले 'डिस्टिंग्विश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड' से प्रतिष्ठित अनुवादक, लेखक, पर्यावरण संरक्षक तेजी ग्रोवर को सम्मानित किया गया. तेजी ग्रोवर को यह सम्मान ज़ी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के प्रकाशन अंग जयपुर बुक मार्क में प्रदान किया गया. तेजी ग्रोवर ने नोर्वेजियाई साहित्य को भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का महत्त्वपूर्ण  काम किया है. उन्हें यह पुरस्कार नोर्वेजियाई एम्बेसडर नेल्स रेग्नार कामस्वेग के हाथों मिला. इस पुरस्कार के निर्णायक मंडल में संदीप भुटोरिया, नीता गुप्ता, नमिता गोखले, संजोय रॉय एवं वाणी प्रकाशन के महानिदेशक अरुण माहेश्वरी शामिल थे. तेजी ग्रोवर को सम्मान राशि के रूप में एक लाख रुपए का चेक भी प्रदान किया गया. पुरस्कार प्राप्त करने के बाद तेजी ग्रोवर ने कहा कि अनुवादक मूल रचना में जाकर वो मोती निकाल लाता है जो अनुवाद की भाषा में भी उसका सौन्दर्य नहीं खोने देता. इस लिहाज़ से अनुवादित रचना उतनी ही अनुवादक की है जितनी लेखक की.

 

तेजी ग्रोवर के पांच कविता संग्रह, एक कहानी संग्रह, एक उपन्यास, एक निबंध संग्रह और आधुनिक नोर्वीजी, स्वीडी, फ्रांसीसी साहित्य से तेरह पुस्तकाकार अनुवाद प्रकाशित हैं. उनकी प्रमुख कृतियां हैं नीला (उपन्यास), अन्त की कुछ और कविताएं, लो कहा सांबरी, दर्पण अभी काँच ही था (कविता संग्रह), घास ढंकी पगडंडियां, बर्फ़ की ख़ुशबू (स्वीडी कविताएं), दस समकालीन नोर्वीजी कहानियां तथा नीलाघर और दूसरी यात्राएँ. उन्होंने कविता और चित्रकला के अन्त: सम्बन्ध पर भी कार्य किया है. चित्रों की सात एकल और तीन समूह प्रदर्शनियां देश-विदेश में लग चुकी हैं. उन्हें भारत भूषण कविता पुरस्कार, रज़ा अवार्ड और वरिष्ठ कलाकारों हेतु राष्ट्रीय सांस्कृतिक फ़ेलोशिप भी मिल चुकी है. उनकी कविताएं देश-विदेश की तेरह भाषाओं में और 'नीला' उपन्यास और कुछ कहानियां पोलिश और अंग्रेजी में भी अनूदित हो चुकी हैं. याद रहे कि वाणी फ़ॉउण्डेशन गत 4 साल से जयपुर साहित्य उत्सव में यह पुरस्कार प्रदान करता आ रहा है. इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य अनुवाद के उस कार्य को सराहना है जिसे प्रायः अपनी महत्ता जितना श्रेय नहीं मिलता. यह फ़ॉउण्डेशन वाणी प्रकाशन  से जुड़ा है, जो पिछले 56 वर्षों से 32 विधाओं से भी अधिक में बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है.