जयपुर: प्रगतिशील लेखक संघ की जयपुर इकाई ने झालाना सांस्थानिक क्षेत्र स्थित राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी के सभागार में कीर्ति शेष साहित्यकार डॉ नामवर सिंह की स्मृति में एक शोक सभा का आयोजन किया। जयपुर इकाई के सचिव डॉ अजय अनुरागी ने डॉ नामवर सिंह के जीवन और कृतित्व का संक्षिप्त परिचय दिया और अध्यक्ष डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने यह कहते हुए कि नामवर जी के  समग्र कृतित्व का आकलन तो भविष्य में ही  पाएगा, फिलहाल तो हम इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि हमने भी उसी समय में सांस ली है जिस समय में नामवर जी इस दुनिया में थे। मुम्बई से आए फिल्म पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज ने भी नामवर सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। उल्लेखनीय है कि अजय ब्रह्मात्मज नामवर जी के शिष्य रहे हैं. उन्होंने एक शिक्षक के रूप में नामवर जी की स्मृतियों को साझा करते हुए इस बात के लिए आभार व्यक्त किया कि उनके गुरु नामवर सिंह ने उन्हें जो दृष्टि दी उसी के कारण उनका फिल्मी लेखन भी औरों से अलहदा बन सका. जाने माने आलोचक राजाराम भादू ने नामवर सिंह के कृतित्व के महत्व को रेखांकित किया। नंद भारद्वाज ने जोधपुर में नामवर जी के सान्निध्य में बिताए अपने जीवन-काल की कुछ रोचक बातें साझा करते हुए अपने गुरु को श्रद्धा सुमन अर्पित किए. नंद भारद्वाज ने नामवर  सिंह के निर्देशन में मुक्तिबोध पर शोध कार्य करना शुरु किया था. हेतु भारद्वाज ने अपने संक्षिप्त वक्तव्य में नामवर सिंह जी के व्यक्तित्व के मानवीय पक्ष को उजागर किया. अंत में प्रगतिशील लेखक संघ के राजस्थान के महासचिव ईश मधु तलवार ने शोक प्रस्ताव का वाचन किया और उसके बाद दो मिनट का मौन रखकर नामवर जी का स्मरण  किया गया. उपस्थितजनों ने नामवर जी की फोटो के सम्मुख श्रद्धा सुमन भी अर्पित किए. शोक सभा का आयोजन राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी के सहयोग से किया गया. जयपुर में रह रहे लगभग सभी प्रमुख रचनाकार और साहित्य प्रेमी इस शोक सभा में उपस्थित थे. 

(दुर्गा प्रसाद अग्रवाल के सौजन्य से)