भोपालः भारत भवन के संगीत प्रभाग अनहद की संगीत सभाओं की श्रृंखला के तहत अंतरंग सभागार में आसपास, सप्तक और भावानुभाव कार्यक्रम शुरू हो चुका है. इसी की पहली कड़ी में पहले दिन साई ऐश्वर्य महाशब्दे का गायन और सुंदरलाल करेले के बांसुरी वादन हुआ. कार्यक्रम में शामिल श्रोताओं को ग्रीष्म के इस मौसम में दिनभर की तपिश के बाद शास्त्रीय गायन और बांसुरी की मधुर धुन ने ठंडक का अहसास कराया. एक ओर ऐश्वर्य की गायिकी में जहां रियाज, समधुरता और राग की मधुरता थी, वहीं सुंदरलाल के बांसुरी वादन में अनुभव व धुन की अनूठी जुगलबंदी. कार्यक्रम की शुरुआत ऐश्वर्य महाशब्दे के गायन से हुई. पद्मश्री उह्लास कशालकर के शिष्य ऐश्वर्य ने अपनी प्रस्तुति के लिए रात के पहले पहर में गाए जाने वाले राग कामोद का चयन किया.
साई ऐश्वर्य महाशब्दे ने अपनी चयनित रचनाओं में राग की खूबसूरती प्रस्तुत की, जिसमें सबसे पहले 'मतीर मालनिया…' और दूसरी रचना 'जाने न दूंगी…' थी. अंत में ऐश्वर्य ने दादरा प्रस्तुत किया, जिसके बोल 'कहनवा मानो ओ राधा रानी..'. थे. ऐश्वर्य के गायन में तबले पर मनोज पाटीदार और हारमोनियम पर जीतेश मराठे ने संगत दी. कार्यक्रम का दूसरा हिस्सा सुंदरलाल करेले के बांसुरी वादन को समर्पित था. सुंदरलाल ने अपने वादन की शुरुआत राग मारू बिहाग से की. उन्होंने सबसे पहले रूपक ताल में बड़ा खयाल की खूबसूरत प्रस्तुति दी. इसके बाद उन्होंने तीन ताल में छोटा खयाल पेश किया. इस प्रस्तुति ने अंतरंग में बांसुरी की मिठास घोल दी. इस के बाद उन्होंने राग हंसध्वनि में तीन ताल में छोटा खयाल की प्रस्तुति दी. अंत में सुंदरलाल ने दीप चंदी ताल और कहरवा ताल में ठुमरी पेश की.