नई दिल्ली: हिंदी के चर्चित आलोचक नामवर सिंह के 92वें जन्मदिन पर यों तो सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा रहा, पर राजधानी के  इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में राजकमल प्रकाशन नेनामवर संग बैठकीके नाम से एक गोष्ठी आयोजित की, जिसमें खुद नामवर सिंह के साथ साहित्य जगत के प्रमुख लोगों ने शिरकत की. जिनमें साहित्यकार विश्वनाथ त्रिपाठी, काशीनाथ सिंह, पुरुषोतम अग्रवाल, गोपेश्वर सिंह, संजीव कुमार, दिविक रमेश के नाम उल्लेखनीय हैं.
स्वागत वक्तव्य में राजकमल प्रकाशन समूह के निदेशक अशोक माहेश्वरी ने नामवर सिंह को राजकमल परिवार के मुखिया बताते हुए उनकी अच्छी सेहत की कामना करते हुए उनकी आगामी 4 पुस्तकों की भी घोषणा की. ये पुस्तकें हैं, ‘रामविलास शर्मा‘, ‘छायावाद- प्रसाद, निराला, महादेवी और पंत‘, ‘द्वाभाऔरआलोचना अनुक्रमणिका‘. इन पुस्तकों का संपादन डॉ. नीलम सिंह, विजय प्रकाश सिंह, ज्ञानेंद्र कुमार संतोष और शैलेश कुमार मटियानी ने किया है. इस मौके पर इन पुस्तकों की एक झलक भी दिखलाई गयी.
इस मौके पर नामवर सिंह ने कहा कि, “”आचार्य रामचंद्र शुक्ल के बाद हिंदी के सबसे बड़े आलोचक रामविलास शर्मा हैं. रामविलास शर्मा कट्टरपंथी प्रगतिशील आलोचक थे. उदारवादी प्रगतिशीलों और कट्टरपंथी प्रगतिशीलों में बहस चलती रहती थी. बाद में रामविलास जी ने वेदों पर भी काम किया. मुझे आगरा में काम करते हुए रामविलास जी को जानने का मौक़ा मिला था, इसलिए मैंने उन पर यह काम किया है.
नामवर सिंह के छोटे भाई और हिंदी के प्रसिद्ध लेखक काशीनाथ सिंह ने जन्मदिन की बधाई देते हुए कहा कि, “नामवर जी के स्वास्थ्य और लम्बी उम्र का पहला राज़ है- उनका पढ़ना और लिखना. जब तक वे पढ़ सकते हैं, तब तक वे स्वस्थ रहेंगे. दूसरा बड़ा राज़ है-  विरोध होते रहना. विरोध से वे ताकत पाते हैं. उन्हें लोकप्रियता पसंद है. लोकजिह्वा पर बने रहना पसंद है. यह केवल अध्यापन करते हुए संभव नहीं था. आलोचकों में भी ऐसी लोकप्रियता किसी को नहीं मिली जैसी नामवर जी को मिली है.
लेखक विश्वनाथ त्रिपाठी ने अपने विद्यार्थी जीवन के अनेक संस्मरण उद्धृत करते हुए नामवर सिंह कोअज्ञेय के बाद हिंदी का सबसे बड़ा स्टेट्समैनकहा. पुरुषोत्तम अग्रवाल ने हिंदी साहित्य और आलोचना के बड़े नाम के रूप में नामवर जी को भाषणों में एकदम अलग व्यक्तित्व वाला और कक्षा में बिलकुल अलग व्यक्तित्व बताया. लेखक गोपेश्वर सिंह का कहना था कि नामवर सिंह ने अपने दौर में देश का सर्वोच्च हिंदी विभाग जेएनयु में बनवाया, हमने और हमारी पीढ़ी ने नामवर जी के व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखा है.

-( प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित)