भोपालः मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय ने स्वाधीनता संग्राम के आंचलिक गीतों पर आधारित 'सुराज' जनजातीय शिविर का आयोजन किया, जिसकी विशेषता यह थी कि राज्य के जानेमाने आंचलिक चित्रकारों ने स्वाधीनता के दौरान गाये जाने वाले गीतों को अपनी-अपनी शैली में चित्र अभिव्यक्ति से कैनवास पर चित्रित किया. इन चित्रों में आज़ादी के संघर्षों की लोक अभिव्यक्तियों को प्रदर्शित किया गया है. इस अवसर पर चित्रकारों ने शिविर के दौरान ही स्वाधीनता के दौरान व्याप्त सामाजिक एकता, आत्मविश्वास और अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष को बड़ी ही बारीकी और खूबसूरती से अपने चित्रों के माध्यम से उकेरा. इन चित्रों में गांव समाज के साथ ही कहीं गांधी तो कहीं चरखा भी दिखाई दिया.
जनजातीय संग्रहालय में स्वाधीनता संग्राम के आंचलिक गीतों पर आधारित इस 'सुराज' जनजातीय शिविर में राज्य के जिन प्रतिष्ठित चित्रकारों ने हिस्सा लिया उनमें गोंड जनजातीय चित्रकारों में से संतोषी तेकाम, छोटी तेकाम, भारती श्याम, मनोज तेकाम, धावत सिंह, सुभाष व्याम, मोहन सिंह श्याम और रामनारायण मरावी शामिल हैं. इसी तरह भील जनजातीय चित्रकारों में गीता बारिया, सीता मेड़ा, सविता बारिया,शेरसिंह भाबोर, दुबू बारिया, जाम्बू सिंगाड़ और रमेश कटारा के नाम शामिल हैं. इतना ही नहीं कोरकू जनजातीय चित्रकारों का प्रतिनिधित्व भी हुआ, जिसे चित्रकार फूलवती ने अपने चित्रों से स्पष्ट किया. राज्य की राजधानी में लगी इस पांच दिवसीय प्रदर्शनी में दर्शकों का उत्साह देखने लायक था. खास बात यह कि वे इन चित्रों को बिना समझाए भी जनजातीय गीतों से जोड़ कर समझ पा रहे थे.