तिरुवनंतपुरम: वाणी प्रकाशन ने अपनी स्थापना के 60वें वर्ष में प्रवेश करने पर देश भर में 60 साहित्यिक कार्यक्रमों के आयोजन की घोषणा की. इस ‘उत्सव श्रृंखला’ की शुरुआत केरल के तिरुवनंतपुरम से की गई. समूह ने केरल विश्वविद्यालय के कार्यवट्टम परिसर में 19 से 22 जून तक पुस्तक प्रदर्शनी लगाई और तीन श्रेणियों में ‘वाणी साहित्य भूषण सम्मान’, ‘वाणी हिंदी अलंकार सम्मान’ और ‘वाणी सम्मान’ की शुरुआत भी की. केरल से इस शुरुआत का भावनात्मक पक्ष यह था कि वाणी प्रकाशन के संस्थापक डॉ प्रेमचन्द ‘महेश’ ने कभी अपनी प्रकाशन यात्रा की शुरुआत यहीं से की थी. वाणी सम्मान समारोह में ‘वाणी साहित्य भूषण सम्मान’ प्रो डॉ ए अरविन्दाक्षन को; ‘वाणी हिन्दी अलंकार सम्मान’ प्रो डॉ जयचन्द्रन आर, डॉ सुमा एस, डॉ एसआर जयश्री को और ‘वाणी सम्मान’ डॉ गिरिजा कुमारी आर को प्रदान किया गया. समारोह की अध्यक्षता आल इंडिया हेल्थ यूनिवर्सिटी फ़ेडरेशन के अध्यक्ष और केरल हेल्थ यूनिवर्सिटी, केरल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ मोहनन कुन्नुमल ने की. समारोह में प्रो तंकमणि अम्मा का भी सान्निध्य रहा. इस अवसर पर प्रख्यात लेखक और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व प्रति कुलपति प्रो डॉ ए अरविन्दाक्षन ने कहा कि ‘वाणी साहित्य भूषण सम्मान’ पाकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं. यह अपने ही परिवार के माध्यम से सम्मानित होने जैसा है. वाणी प्रकाशन को मलयालम और हिन्दी भाषा के बीच और अधिक अनुवाद प्रकाशित करने चाहिए.”

केरल विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा विभाग के निदेशक; क्रेडिट व सेमेस्टर सिस्टम के उपाध्यक्ष प्रो डॉ जयचन्द्रन आर ने ‘वाणी हिन्दी अलंकार सम्मान’ प्राप्त करते हुए कहा कि इस समूह का पिछले साठ वर्षों से केरल से संबंध रहा है. ‘वाणी हिन्दी अलंकार सम्मान’ से सम्मानित राजकीय आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज कालीकट के हिन्दी विभाग की सहयोगी प्राध्यापक डॉ. सुमा एस ने कहा कि वाणी अच्छी है तो वह सबका दिल चुरा लेती है. केरल विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की आचार्य और अध्यक्ष प्रो डॉ एसआर जयश्री ने कहा कि वाणी हमारी बौद्धिक यात्रा में एक सहयात्री और एक मित्र की तरह है. मेरे छात्र और मैं वाणी द्वारा सावधानी पूर्वक प्रकाशित किये गये महत्त्वपूर्ण मुद्दों का पीछा करते हैं. हिंदी और मलयालम भाषा के बीच अनुवाद, शोध और हिंदी पुस्तक-विक्रेता के रूप में विशेष योगदान करने वाली डॉ गिरिजा कुमारी आर ने कहा कि मैं छात्रों से अनुरोध करती हूं कि पढ़ना बहुत जरूरी है. आप पुस्तकें पढ़िए और आगे बढ़िए. पुस्तकें हमारे लिए अच्छी मित्र होनी चाहिए. अध्यक्षीय भाषण में प्रो कुन्नुमल ने कहा कि जहां वाणी है, वहां प्रकाश है. यह समूह 60वें वर्ष में शक्ति और शक्ति प्राप्त करे. समूह की ओर से उसके कर्ता-धर्ता अरुण माहेश्वरी ने आभार व्यक्त किया. समारोह का संचालन कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने किया.